National News: कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की राजनीतिक विरासत का बचाव किया है। थरूर ने कहा कि आडवाणी को सिर्फ एक घटना से नहीं आंका जा सकता। उन्होंने इसकी तुलना नेहरू और इंदिरा गांधी के लंबे सार्वजनिक जीवन से की।
थरूर का यह बयान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आया है। इसने राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया। बीजेपी ने इसकी सराहना की तो कांग्रेस के भीतर असहजता देखने को मिली। पार्टी ने थरूर के बयान से खुद को अलग कर लिया है। इसने एक बार फिर थरूर की स्वतंत्र राय को लेकर बहस छेड़ दी है।
थरूर ने क्या कहा?
शशि थरूर ने आडवाणी के अट्ठानबेवें जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने आडवाणी को सच्चा राजनेता बताया। थरूर ने लिखा कि आडवाणी के लंबे सार्वजनिक जीवन को सिर्फ एक घटना से जोड़कर देखना उचित नहीं है। उन्होंने इसकी तुलना नेहरू और इंदिरा गांधी से की।
थरूर ने कहा कि जैसे नेहरू का करियर चीन युद्ध से परिभाषित नहीं होता। वैसे ही इंदिरा गांधी का करियर सिर्फ आपातकाल से परिभाषित नहीं होता। उन्होंने कहा कि आडवाणी को भी इसी तरह का न्याय मिलना चाहिए। थरूर ने आडवाणी की विनम्रता और सार्वजनिक सेवा की प्रशंसा की।
कांग्रेस में मचा बवाल
थरूर के बयान के बाद कांग्रेस में मतभेद सामने आए। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने स्पष्ट किया कि थरूर के विचार निजी हैं। कांग्रेस पार्टी उनके इस बयान से पूरी तरह अलग है। खेड़ा ने कहा कि थरूर का ऐसा करना कांग्रेस की लोकतांत्रिक भावना को दर्शाता है।
पार्टी ने थरूर से किनारा करते हुए भी यह जताने की कोशिश की कि उनके पास स्वतंत्र राय रखने की जगह है। लेकिन राजनीतिक तौर पर इस बयान ने विपक्षी खेमे में सवाल खड़े कर दिए हैं। कई लोग इसे थरूर की मध्यपंथी सियासत की झलक मान रहे हैं।
सोशल मीडिया पर तीखी बहस
थरूर के पोस्ट पर सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि इस देश में नफरत के बीज बोना सार्वजनिक सेवा नहीं है। इसके जवाब में थरूर ने तर्क दिया कि इतिहास को संतुलित दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
बहस तब और गरम हो गई जब हेगड़े ने लिखा कि आडवाणी की रथ यात्रा कोई एक घटना नहीं थी। उन्होंने कहा कि यह भारतीय गणराज्य की दिशा बदलने वाली लंबी यात्रा थी। हेगड़े के मुताबिक इसने दो हज़ार दो और दो हज़ार चौदह जैसी घटनाओं की नींव रखी।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि थरूर का यह बयान महज एक बधाई संदेश नहीं है। यह एक सॉफ्ट रीब्रांडिंग की कोशिश है। थरूर खुद को एक उदार, संतुलित और विचारशील नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं।
थरूर अक्सर पार्टी लाइन से हटकर बोलते हैं। कभी सावरकर पर टिप्पणी हो, कभी मंदिरों पर, या अब आडवाणी पर। उनका यह रुख एक ओर उन्हें बौद्धिक राजनेता बनाता है। दूसरी ओर कांग्रेस के परंपरागत गुटों से टकराव भी खड़ा करता है।
बीजेपी नेताओं ने थरूर के बयान की सराहना की है। उन्होंने इसे राजनीतिक परिपक्वता बताया है। हालांकि कांग्रेस के भीतर यह बयान अच्छा नहीं लिया गया है। यह घटना दिखाती है कि थरूर की राजनीतिक रणनीति अलग है। वह पार्टी लाइन से हटकर स्वतंत्र छवि बनाना चाहते हैं।
