Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने तिहाड़ जेल प्रशासन से बृहस्पतिवार को सवाल किया कि दुर्दांत गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया उच्च सुरक्षा वाले कारागार के अंदर एक प्रतिद्वंद्वी गिरोह के हमले में कैसे मारा गया, जबकि सुरक्षा कर्मी घटना को ‘लाइव’ देख रहे थे। अदालत ने बर्बर हमले का जवाब देने में हुए विलंब के बारे में जेल अधिकारियों से सवाल पूछा। उच्च न्यायालय ने सवाल किया कि आपस में संपर्क करने के लिए जेल परिसर में तैनात सुरक्षा कर्मियों के पास ‘वाकी-टाकी’ क्यों नहीं था और इसे अस्वीकार्य बताया। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा, ”मुझे यह बात परेशान कर रही कि इसे (घटना को) सीसीटीवी कैमरे पर देखा गया। पुलिस को इतना वक्त कैसे लग सकता है कि घटना होते वक्त उसे रोका नहीं जा सके।”
उन्होंने सरकार के वकील से पूछा कि जेल और निगरानी क्षेत्र के बीच कितनी दूरी है। न्यायाधीश ने कहा, ”इसने मेरे न्यायिक अंत:करण को झकझोर कर रख दिया है।” वकील ने जवाब दिया, ”इसने हर किसी की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और हम सकारात्मक कदम उठा रहे हैं।” उच्च न्यायालय ताजपुरिया के पिता और भाई द्वारा दायर उस याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें दो मई को तिहाड़ जेल परिसर के अंदर हुई बर्बर हत्या की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
अतिरिक्त सरकारी वकील राहुल त्यागी ने दलील दी कि निगरानी क्षेत्र जेल से 600 मीटर की दूरी पर है। उन्होंने अदालत को बताया कि घटना में संलिप्त कैदियों को ताजपुरिया की हत्या के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। इस पर न्यायाधीश ने सरकारी वकील से पूछा, ”उनके पास वाकी-टाकी नहीं था ? क्या मतलब है? तो हर बार जब घटना होगी तब निगरानी क्षेत्र से कर्मी जेल के अंदर जाएगा जो 600 मीटर की दूरी पर है।” त्यागी ने कहा कि अंदर हथियार लेकर जाना जेल नियमावली के खिलाफ है और अब अधिकारी उन्हें सशस्त्र करने की संभावना तलाश रहे हैं।
अदालत ने पूछा कि अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिए इस तरह की कोई घटना होने देने का इंतजार क्यों करना पड़ता है। अदालत ने कहा, ”हम घटना होने देने का इंतजार क्यों करें और फिर हम कहें कि बड़े मामले बुरे कानून बनाते हैं और उसकी बहुत प्रत्याशित प्रतिक्रिया होती है। कार्यवाही के दौरान संबद्ध जेल अधीक्षक भी अदालत कक्ष में उपस्थित थे।