Himchal News: शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू हो रही है। इस पावन अवसर पर देशभर के देवी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी। मां दुर्गा के इन पवित्र स्थलों पर दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां विशेष पूजा और उत्सवों का आयोजन किया जाता है।
त्रिकूट पर्वत पर स्थित वैष्णो देवी मंदिर भारत का सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। भक्त देवी के दर्शन के लिए लगभग 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है। मां वैष्णो भक्तों की रक्षा करने और उनकी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
ज्वाला जी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है। यहां बिना ईंधन के जलती रहने वाली ज्वाला देवी की दिव्य शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। ऐसा मान्यता है कि यहां देवी सती की जीभ गिरी थी। नवरात्रि में यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
कालीघाट मंदिर
कोलकाता में हुगली नदी के तट पर स्थित यह मंदिर देवी काली को समर्पित है। यह भी 51 शक्तिपीठों में शामिल है। मान्यता है कि देवी सती के पैर का अंगूठा यहां गिरा था। नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान मंदिर में भव्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
नैना देवी मंदिर
हिमाचल प्रदेश में गोविंद सागर झील के तट पर स्थित यह मंदिर भक्तों का पसंदीदा स्थल है। नवरात्रि में लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर तक पैदल, रोपवे या पालकी द्वारा पहुंचा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि देवी के दिव्य नेत्र यहीं गिरे थे।
कामाख्या मंदिर
असम की नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर देवी के कामाख्या स्वरूप को समर्पित है। इसे तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र माना जाता है। नवरात्रि और अंबुबाची मेले के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर का वातावरण आध्यात्मिकता से भरपूर है।
अंबा देवी मंदिर
गुजरात की गिरनार पहाड़ियों में स्थित यह मंदिर देवी अंबा को समर्पित है। आठवीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां देवी सती का हृदय गिरा था। नवविवाहित जोड़े सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए यहां आते हैं। नवरात्रि में विशेष पूजा होती है।
