Shimla News: पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि आज की राजनीति मूल्यहीन होती जा रही है। उन्होंने भगवत गीता और स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को अपना जीवन मार्गदर्शक बताया। यह बात उन्होंने अपनी आत्मकथा के पंजाबी अनुवाद के विमोचन समारोह में कही। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शांता कुमार की आत्मकथा “निज पथ का अविचल पंथी” का पंजाबी भाषा में अनुवाद किया गया है। इस पुस्तक में उनके किशोरावस्था में जेल यात्रा, राष्ट्रसंघ में भारत का प्रतिनिधित्व और हिमाचल प्रदेश में अंत्योदय योजना की शुरुआत जैसे प्रेरक प्रसंग शामिल हैं। यह पुस्तक उनके जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों को दर्शाती है।
कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने कहा कि शांता कुमार की आत्मकथा एक पुस्तक नहीं बल्कि प्रेरणास्रोत है। उन्होंने अंत्योदय योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की। यह योजनाएं आत्मनिर्भर और विकसित भारत की नींव मानी जाती हैं। समाज को सिद्धांत आधारित राजनीति से ही बदला जा सकता है।
लोकसभा सांसद डॉ राजीव भारद्वाज ने शांता कुमार को ‘राजऋषि’ बताया। उन्होंने कहा कि शांता कुमार से हमने राजनीति ही नहीं, समाजसेवा और जीवन के मूल्य सीखे हैं। उनके साथ 42 वर्षों का सानिध्य जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। भारद्वाज ने स्वयं को एकलव्य की तरह बताया जो दूर से देखकर मार्ग का अनुसरण करता है।
कुलाधिपति प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी ने पुस्तक के पंजाबी अनुवाद को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अब पंजाबी भाषा में यह जीवनी उपलब्ध होगी। इससे पंजाबी भाषियों को लाभ मिलेगा। उन्होंने अनुवादक डॉ. नरेश को बधाई दी। यह अनुवाद विश्वविद्यालय द्वारा किया गया है।
वाईएसपी विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश्वर चंदेल ने शांता कुमार के जीवन को प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि शांता कुमार का जीवन उन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है जो आज की राजनीति में दुर्लभ होते जा रहे हैं। उनका संयम, समर्पण और सादगी युवाओं के लिए आदर्श है। उन्होंने संघर्ष की मर्यादा के बारे में भी बताया।
शांता कुमार ने अपने संबोधन में राजनीति में मूल्यों के ह्रास पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने भगवत गीता और स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को अपनाने पर जोर दिया। उनका मानना है कि इन मूल्यों के बिना राजनीति का कोई भविष्य नहीं है। यह समारोह धौलाधार परिसर के सभागार में आयोजित किया गया था।
