New Delhi News: पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनके सुझाव को स्वीकार किया है। सरकार के पास लगभग दो लाख करोड़ रुपये लावारिस धन के रूप में जमा हैं। अहमदाबाद में हुई बैठक में यह बात सामने आई। वित्त मंत्री ने इसकी पुष्टि की।
शांता कुमार ने सोमवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास एक लाख चौरासी हजार करोड़ रुपये ऐसे पड़े हैं। इन राशियों पर किसी ने दावा नहीं किया है। वित्त मंत्री ने अधिकारियों को वास्तविक वारिसों का पता लगाने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र
शांता कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि यह धन राष्ट्रीय आपदाओं में उपयोग किया जाए। वर्षों से यह धन बिना किसी दावे के पड़ा हुआ है। इसके उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि यह विषय नया नहीं है। जब वे केंद्र सरकार में मंत्री थे तब भी इस पर चर्चा हुई थी। उनका मानना है कि इन राशियों के असली वारिस अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसलिए इस धन का बेहतर उपयोग जरूरी है।
75 प्रतिशत धन आपदा राहत में उपयोग का सुझाव
शांता कुमार ने एक व्यावहारिक समाधान सुझाया है। सरकार पच्चीस प्रतिशत धन सुरक्षित रखे। इससे यदि कोई वारिस आए तो उसे राशि लौटाई जा सके। शेष पचहत्तर प्रतिशत धन का उपयोग राष्ट्रीय आपदाओं में किया जाए। यह सुझाव तार्किक लगता है।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश का उदाहरण दिया। राज्य राष्ट्रीय आपदा की विभीषिका से जूझ रहा है। प्रभावित लोगों को पूर्ण सहायता नहीं मिल पा रही है। ऐसे में इस धन का उपयोग पुनर्वास कार्यों में किया जाना चाहिए।
हिमाचल जैसे राज्यों को मिल सकती है मदद
शांता कुमार ने कहा कि भारत सरकार के पास पड़े दो लाख करोड़ रुपये में से पचहत्तर प्रतिशत राशि का उपयोग हिमाचल जैसे आपदा-ग्रस्त राज्यों के लिए किया जाए। इससे राहत और पुनर्वास कार्यों में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस धन का इससे बेहतर उपयोग कोई नहीं हो सकता।
वित्त मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वास्तविक वारिसों का पता लगाया जाए। साथ ही उन्हें राशि लौटाने का प्रयास किया जाए। यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए। शांता कुमार ने इस पहल की सराहना की।
