Himachal News: पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने चिट्टा नशे के खिलाफ राज्य सरकार के अभियान की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह अभियान और अधिक प्रभावी हो सकता था यदि मुख्यमंत्री ने विपक्ष को भी विश्वास में लिया होता। शांता कुमार ने बुधवार को एक बयान जारी कर यह राय व्यक्त की।
उन्होंने चिट्टा नशे को एक भयंकर सामाजिक रोग बताया। शांता कुमार ने कहा कि यह नई युवा पीढ़ी को तेजी से बर्बाद कर रहा है। सरकार द्वारा चलाया जा रहा आंदोलन प्रशंसनीय है लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर सामूहिक प्रयास जरूरी है।
शांता कुमार ने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने की अपील की। उन्होंने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई जैसे विषय राजनीति से बहुत ऊपर होते हैं। इसमें सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर सहयोग करना चाहिए।
विपक्ष को साथ लेने की अपील
पूर्व मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री से विशेष आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि पूरे विपक्ष को इस आंदोलन में सहभागी बनाया जाए। साथ ही उन्होंने विपक्ष से भी सहयोग करने की अपील की। यह दृष्टिकोण अभियान को व्यापक बना सकता है।
शांता कुमार ने सामाजिक संगठनों की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवल राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि सभी सामाजिक संस्थाओं को शामिल किया जाना चाहिए। आर्य समाज और सनातन धर्म से जुड़े संगठन भी इसमें योगदान दे सकते हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक राष्ट्रीय संदेश देने की बात कही। उनका मानना है कि पूरे देश को यह पता चलना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश नशे के खिलाफ एकजुट है। सामूहिक संकल्प के साथ यह लड़ाई लड़ी जा रही है।
सामाजिक सहभागिता का महत्व
शांता कुमार के बयान में सामुदायिक भागीदारी पर विशेष ध्यान दिया गया है। नशा मुक्ति अभियान तभी सफल हो सकता है जब समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित हो। इसके लिए राजनीतिक एकता पहला कदम हो सकती है।
चिट्टा नशे की समस्या हिमाचल प्रदेश के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है। यह युवाओं के स्वास्थ्य और भविष्य को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में हर स्तर पर समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान राज्य की सामाजिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने एक रचनात्मक सुझाव देते हुए राजनीतिक सहयोग का मार्ग दिखाया है। यह दृष्टिकोण सामाजिक समस्याओं के समाधान में मददगार साबित हो सकता है।
नशा निवारण अभियानों में व्यापक सहमति का विशेष महत्व होता है। जब सभी हितधारक एक साथ आते हैं तो नीतियां अधिक प्रभावी बनती हैं। समाज के हर वर्ग का समर्थन सफलता की संभावना बढ़ा देता है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस दिशा में पहल शुरू कर दी है। अब विपक्ष और सामाजिक संगठनों का सहयोग अभियान को नई गति दे सकता है। यह समस्या किसी एक दल या सरकार तक सीमित नहीं है।
सामूहिक प्रयासों से ही इस गंभीर सामाजिक बुराई पर विजय पाई जा सकती है। राज्य के युवाओं का भविष्य सुरक्षित करने के लिए तत्काल कार्रवाई जरूरी है। हर स्तर पर जागरूकता और कार्ययोजना की आवश्यकता है।
