Business News: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड म्यूचुअल फंड योजनाओं में ब्रोकरेज फीस से जुड़े नियमों में संतुलित बदलाव पर विचार कर रहा है। यह बदलाव निवेशकों और फंड हाउसों दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है। बाजार नियामक अक्टूबर में प्रस्तावित कड़े नियमों पर पुनर्विचार कर रहा है।
सेबी ने अक्टूबर महीने में एक प्रस्ताव जारी किया था। इस प्रस्ताव के अनुसार म्यूचुअल फंड हाउसों द्वारा ब्रोकरेज को दी जाने वाली फीस को 12 बेसिस प्वाइंट से घटाकर मात्र 2 बेसिस प्वाइंट करने का सुझाव दिया गया था। यह कदम निवेशकों के लिए फंड की लागत कम करने और नेट रिटर्न बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया था।
उद्योग ने जताई आपत्तियां
ब्रोकरेज फर्मों और म्यूचुअल फंड कंपनियों ने इस प्रस्ताव पर गंभीर चिंता जताई है। उनका मानना है कि ब्रोकरेज फीस में इतनी अधिक कटौती शोध और विश्लेषण की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। पर्याप्त फीस न मिलने की स्थिति में ब्रोकरेज फर्म गहन शोध रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाएंगे।
इसका सीधा प्रभाव स्टॉक चयन की प्रक्रिया पर पड़ सकता है। खराब स्टॉक चयन से फंड के प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है। अंततः इससे निवेशकों के रिटर्न भी प्रभावित होंगे। इसीलिए उद्योग ने सेबी के समक्ष अपनी चिंताएं रखी हैं।
सेबी कर रहा है समीक्षा
उद्योग की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए सेबी अब इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है। नियामक म्यूचुअल फंड उद्योग के विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा कर रहा है। इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा समाधान ढूंढना है जो निवेशकों और फंड प्रबंधकों दोनों के लिए उचित हो।
ऐसा माना जा रहा है कि अंतिम निर्णय में ब्रोकरेज फीस की सीमा प्रस्तावित 2 बेसिस प्वाइंट से अधिक हो सकती है। इससे दोनों पक्षों को राहत मिलने की उम्मीद है। यह संतुलित दृष्टिकोण सभी के हितों की रक्षा कर सकता है।
निवेशकों पर क्या होगा प्रभाव?
यदि ब्रोकरेज फीस को उचित स्तर पर कम किया जाता है तो इससे म्यूचुअल फंड योजनाओं की समग्र लागत में कमी आएगी। कम लागत का सीधा लाभ निवेशकों के नेट रिटर्न के रूप में देखने को मिल सकता है। इससे म्यूचुअल फंड निवेश और अधिक आकर्षक बन सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर यदि फीस में अत्यधिक कटौती होती है तो इसके नकारात्मक परिणाम भी सामने आ सकते हैं। शोध और विश्लेषण में कमी से फंड के निवेश निर्णय प्रभावित हो सकते हैं। इससे फंड के प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है जो निवेशकों के लिए हानिकारक होगा।
सेबी और उद्योग प्रतिनिधियों के बीच चल रही बातचीत के नवंबर मध्य तक पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद ही ब्रोकरेज फीस से जुड़े नए नियमों का अंतिम रूप सामने आ पाएगा। नए नियम आने के बाद म्यूचुअल फंड योजनाओं के व्यय अनुपात में इसका प्रभाव दिखाई देगा।
