शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

चीन से सीमलेस पाइप आयात: भारतीय उद्योग के लिए बड़ा झटका, डंपिंग और सुरक्षा का खतरा

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India News: चीन से सीमलेस पाइप और ट्यूब के आयात में भारी उछाल देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2024-25 में यह आयात दोगुना से अधिक बढ़कर 4.97 लाख टन पर पहुंच गया है। सीमलेस ट्यूब मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, यह वृद्धि पिछले वर्षों की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक है। इस तेजी से भारतीय उद्योग में गहरी चिंता पैदा हो गई है।

पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने चीन से 2.44 लाख टन सीमलेस पाइप का आयात किया था। वित्त वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 1.47 लाख टन था। जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में केवल 82,528 टन सीमलेस पाइप का आयात हुआ था। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब चीन से पाइप आयात में भारी वृद्धि दर्ज की गई है।

उद्योग ने जताई गंभीर चिंता

एसटीएमएआई के अध्यक्ष शिव कुमार सिंघल ने इस स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सरकारी सुरक्षा उपायों के बावजूद चीन से पाइप आयात लगातार बढ़ रहा है। चीन से आयात पर अंकुश लगाने के प्रयास अप्रभावी साबित हो रहे हैं। इससे घरेलू उद्योग को गंभीर नुकसान हो रहा है।

उद्योग संगठन का आरोप है कि चीनी कंपनियां भारतीय बाजार में सीमलेस पाइप की डंपिंग कर रही हैं। साथ ही वे सीमा शुल्क पर अधिक बिलिंग के माध्यम से करों और शुल्कों की चोरी कर रही हैं। यह प्रथा निष्पक्ष व्यापार के सिद्धांतों के खिलाफ है।

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डंपिंग की विधि

चीनी आयातक सीमा शुल्क निकासी के समय बढ़ा-चढ़ाकर बिल मूल्य घोषित करते हैं। बाद में उन्हीं उत्पादों को भारतीय बाजार में घरेलू विनिर्माताओं की तुलना में काफी कम दामों पर बेचा जाता है। इससे भारतीय उत्पादकों को गंभीर प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान होता है।

सीमलेस पाइप का न्यूनतम आयात मूल्य 85,000 रुपये प्रति टन है। लेकिन भारतीय बाजारों में छोटी मात्रा में चीन के पाइप का बाजार मूल्य केवल 70,000 रुपये प्रति टन है। इस कीमत में भारी अंतर डंपिंग की प्रथा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा

चीन से आयातित सीमलेस पाइप सिर्फ आर्थिक खतरा ही नहीं बन रहे हैं। ये पाइप ताप विद्युत, परमाणु ऊर्जा तथा तेल एवं गैस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस्तेमाल हो रहे हैं। घटिया गुणवत्ता वाली सामग्री से गंभीर सुरक्षा चिंताएं पैदा हो रही हैं।

ये गतिविधियां भारत के भविष्य के ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के परिदृश्य के प्रमुख घटकों में घुसपैठ का संकेत देती हैं। ऐसे घटनाक्रमों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। ये भारत की आर्थिक संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक जोखिम पैदा कर सकते हैं।

घरेलू उद्योग पर प्रभाव

बड़े पैमाने पर डंपिंग के कारण स्वदेशी उत्पादन क्षमता का कम उपयोग हो रहा है। कई इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही हैं। इससे उद्योग के विकास पर गंभीर असर पड़ रहा है।

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रोजगार के अवसरों में भी कमी आई है। कई संयंत्र बंद होने के कगार पर हैं। घरेलू विनिर्माता अंतरराष्ट्रीय मानकों की गुणवत्ता बनाए रखते हुए भी कीमतों में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं।

सरकारी उपाय

भारत सरकार ने इस्पात आयात निर्भरता कम करने के लिए कई रणनीतियां बनाई हैं। इनमें स्पेशल्टी स्टील के लिए उत्साहजनक योजनाएं शामिल हैं। इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश भी लागू किया गया है।

कुछ इस्पात उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी भी लागू है। स्टेनलेस स्टील सीमलेस ट्यूब और पाइप पर विशेष शुल्क लगाया गया है। इस्पात आयात निगरानी प्रणाली को भी नया रूप दिया गया है।

भविष्य की चुनौतियां

वैश्विक स्तर पर चीन के सीमलेस पाइप निर्यात में लगातार वृद्धि हो रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी उत्पादों की कीमतों में मजबूत प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। भारत को इस चुनौती का सामना करने के लिए मजबूत रणनीति की आवश्यकता है।

घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए और अधिक प्रयासों की जरूरत है। गुणवत्ता मानकों को सख्ती से लागू करना होगा। आयातित उत्पादों की गुणवत्ता की नियमित जांच भी आवश्यक है।

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