Himachal News: हिमाचल प्रदेश के जवाली विधानसभा क्षेत्र में सरकारी स्कूलों के जर्जर भवन विद्यार्थियों के लिए खतरा बने हुए हैं। राजकीय माध्यमिक पाठशाला सुगनाड़ा, उच्च विद्यालय कथोली और वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला घाड़जरोट के भवन असुरक्षित हैं। शिक्षा विभाग को सूचित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। बरसात में छतें टपकती हैं, जिससे बच्चों को बरामदे में पढ़ना पड़ता है। सरकार के गुणात्मक शिक्षा के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
सुगनाड़ा स्कूल की स्थिति
राजकीय माध्यमिक पाठशाला सुगनाड़ा का प्राथमिक विंग असुरक्षित घोषित हो चुका है। चार कमरों का स्लेटपोश भवन जर्जर है। लोक निर्माण विभाग ने इसे गिराने की सिफारिश की, लेकिन बजट नहीं मिला। भवन में ताले लगाए गए हैं। बच्चों को असुरक्षित कमरों में जाने से रोका जाता है। स्कूल प्रबंधन ने जर्जर भवन की मरम्मत के लिए बार-बार आग्रह किया, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई।
कथोली और घाड़जरोट स्कूलों का हाल
राजकीय उच्च विद्यालय कथोली में एक कमरे की छत टूट चुकी है। स्टाफ ने अपने पैसों से मरम्मत करवाई। कमरों की कमी से बच्चे बरामदे में पढ़ते हैं। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला घाड़जरोट का भवन भी जर्जर है। बरसात में छत टपकती है। कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने मरम्मत के लिए छह लाख रुपये की घोषणा की थी, लेकिन राशि अब तक नहीं मिली।
शिक्षा विभाग की उदासीनता
शिक्षा विभाग को स्कूलों की स्थिति से अवगत कराया गया है। फिर भी, कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अभिभावक बरसात में बच्चों को स्कूल भेजने से डरते हैं। स्कूल प्रबंधन कमेटियों ने नए भवनों के लिए बजट की मांग की है। शिक्षा विभाग की उदासीनता से विद्यार्थियों की सुरक्षा खतरे में है। जर्जर भवन किसी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं।
