Maharashtra News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को घोषणा की कि हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म के अलावा अन्य धर्मों के व्यक्तियों द्वारा प्राप्त अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र रद्द किए जाएंगे। यह बयान विधान परिषद में एक चर्चा के दौरान आया, जहां उन्होंने धर्मांतरण और आरक्षण के दुरुपयोग से जुड़े मामलों पर सख्ती बरतने की बात कही।
अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र पर कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति ने अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र का उपयोग कर सरकारी नौकरी हासिल की है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति इस प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव जीता है, तो उसका चुनाव भी रद्द किया जाएगा। फडणवीस ने कहा कि सरकार इस तरह के मामलों की जांच कर रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
धर्मांतरण पर कड़े कानून की योजना
फडणवीस ने बताया कि महायुति सरकार जबरन या धोखे से होने वाले धर्मांतरण के मामलों से निपटने के लिए कड़े प्रावधान लाने पर विचार कर रही है। इसके लिए पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सरकार अब इस रिपोर्ट का अध्ययन कर जल्द ही कड़े कानून लागू करने का फैसला लेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता के तहत कार्रवाई संभव है, लेकिन और सख्त प्रावधानों की जरूरत है।
बीजेपी नेताओं के आरोप
बीजेपी नेता अमित गोरखे ने दावा किया कि कुछ लोग अनुसूचित जाति के तहत आरक्षण का लाभ लेते हैं, लेकिन गुप्त रूप से दूसरे धर्म का पालन करते हैं। उन्होंने विशेष रूप से ईसाई समुदाय पर पहचान छिपाकर आरक्षण का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। वहीं, विधान परिषद की निर्दलीय सदस्य चित्रा वाघ ने सांगली के एक मामले का जिक्र किया, जहां एक महिला को धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया, जिसके चलते उसने आत्महत्या कर ली।
धर्मांतरण विरोधी कानून का प्रस्ताव
गृह राज्य मंत्री पंकज भोयर ने कहा कि आगामी शीतकालीन सत्र में धर्मांतरण विरोधी कानून पेश किया जाएगा। यह कानून अन्य राज्यों के समान कानूनों से अधिक सख्त होगा। सरकार का लक्ष्य धोखे या बलपूर्वक धर्मांतरण पर रोक लगाना है। फडणवीस ने भी इस दिशा में तेजी से कदम उठाने का भरोसा दिलाया।
