New Delhi News: दुनिया भर में आयुर्वेद का डंका बज रहा है, लेकिन देश के अंदर Sarkari Naukri की उम्मीद लगाए युवाओं के लिए बुरी खबर है। आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थानों में हज़ारों पद खाली पड़े हैं। संसद में पेश सरकारी आंकड़े डराने वाले हैं। देश के 19 प्रमुख संस्थानों में लगभग 45% सीटें रिक्त हैं। यह सीधा हमारे हेल्थ सिस्टम पर असर डाल रहा है। मंत्रालय ने माना है कि कुल 5,553 स्वीकृत पदों में से 2,512 पद खाली पड़े हैं।
Sarkari Naukri: कहां कितने पद खाली?
राजधानी दिल्ली स्थित CCRAS (आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद) में हालात चिंताजनक हैं। यहां 1,708 पदों में से 903 कुर्सियां खाली हैं। जामनगर के ITRA में स्थिति और भी खराब है। वहां कुल स्वीकृत पदों में से 60% पद रिक्त हैं। पूर्वोत्तर भारत भी इससे अछूता नहीं है। पासीघाट स्थित संस्थान (NEIAFMR) में 90 में से 76 पदों पर कोई नियुक्ति नहीं है। Sarkari Naukri की तैयारी कर रहे हजारों युवा इन मौकों से वंचित हैं।
रिसर्च और इलाज पर बुरा असर
वैज्ञानिकों और स्टाफ की कमी से रिसर्च का काम लगभग ठप पड़ गया है। नई दवाओं और इलाज के तरीकों पर शोध नहीं हो पा रहा है। अस्पतालों में पैरामेडिकल और टेक्निकल स्टाफ की भारी कमी है। इसके चलते मरीजों को वह गुणवत्तापूर्ण इलाज नहीं मिल रहा, जिसका दावा सरकार करती है। नीतियां तो बन रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोग ही गायब हैं। यह स्थिति किसी ‘हेल्थ इमरजेंसी’ से कम नहीं है।
ठेके पर काम, युवाओं के साथ धोखा
यह संकट केवल प्रशासन तक सीमित नहीं है। यह Sarkari Naukri का सपना देखने वाले डॉक्टर और रिसर्चर्स के भविष्य पर प्रहार है। मंत्रालय खाली पदों को भरने के बजाय ‘कॉन्ट्रैक्ट’ यानी ठेके पर काम चला रहा है। इससे न तो कर्मचारियों को सुरक्षा मिलती है और न ही संस्थानों को अनुभवी विशेषज्ञ। संसदीय समितियों ने कई बार इन रिक्तियों पर सवाल उठाए हैं। इसके बावजूद नियमित भर्ती के लिए अब तक कोई ठोस टाइम-बाउंड प्लान सामने नहीं आया है।
