India News: नौकरीपेशा लोगों के लिए अगले साल वेतन वृद्धि की दर धीमी होने वाली है। ओएमएएम कंसल्टेंट्स की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2026 में औसत वेतन वृद्धि घटकर 8.9 प्रतिशत रह सकती है। यह दर वर्ष 2025 में 9.1 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में नौकरी छोड़ने की दर बढ़ने का भी अनुमान जताया गया है। कंपनियां आर्थिक अनिश्चितता के माहौल में अपने मुआवजा बजट में कटौती कर रही हैं।
यह रिपोर्ट सितंबर और अक्टूबर 2025 के बीच किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि कंपनियों की नई पे स्ट्रेटेजी इसकी मुख्य वजह है। अब कंपनियां सभी कर्मचारियों को समान वृद्धि देने के बजाय टॉप परफॉर्मर्स पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही हैं। आम कर्मचारियों के लिए वृद्धि की दर सपाट रखी जा रही है।
किन सेक्टर्स में सबसे ज्यादा धीमी रफ्तार
आईटी सेक्टर में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यहां वेतन वृद्धि 2025 के 8.2 प्रतिशत से गिरकर 2026 में महज 7.0 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है। ई-कॉमर्स सेक्टर में वृद्धि 10.0 प्रतिशत से घटकर 9.2 प्रतिशत रह सकती है। एफएमसीजी और एफएमसीडी सेक्टर में भी यह दर 9.5 प्रतिशत से घटकर 8.7 प्रतिशत होने की संभावना है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में वृद्धि 10.5 प्रतिशत से गिरकर 9.8 प्रतिशत पर आ सकती है। इंडस्ट्रियल और केमिकल सेक्टर में भी नरमी का रुख दिख रहा है। इंश्योरेंस सेक्टर में वृद्धि दर 9 प्रतिशत पर स्थिर बनी रहने की उम्मीद है। टेलीकॉम एकमात्र ऐसा सेक्टर है जहां हल्की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
कंपनियों पर आर्थिक माहौल का दबाव
वैश्विक आर्थिक हालात कंपनियों की योजनाओं को प्रभावित कर रहे हैं। भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान ने सतर्कता बढ़ा दी है। महंगाई में आई नरमी के बाद कंपनियां अपने मुआवजा मॉडल को दोबारा समायोजित कर रही हैं। इस पुनर्गठन का सीधा असर वेतन वृद्धि की दरों पर पड़ रहा है। कई कंपनियों ने माना कि वे मार्केट-प्रतिस्पर्धी वेतन स्तर तक पहुंच चुकी हैं।
इस वजह से अब बजट का बड़ा हिस्सा फिक्स्ड पे के बजाय टोटल रिवार्ड्स पर खर्च किया जा रहा है। इनमें लाभ, प्रतिधारण कार्यक्रम, कौशल विकास के प्रोत्साहन और करियर विकास के अवसर शामिल हैं। कंपनियों का लक्ष्य अपने शीर्ष प्रतिभाशाली कर्मचारियों को बनाए रखना है। इस नई रणनीति के तहत प्रदर्शन के आधार पर भुगतान पर जोर दिया जा रहा है।
नौकरी छोड़ने की दर बनी रहेगी ऊंची
वेतन वृद्धि कम होने के बावजूद नौकरी छोड़ने की दर में गिरावट नहीं आने वाली है। वर्ष 2026 में औसत एट्रिशन दर 13.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आईटी सर्विसेज सेक्टर में यह दर सबसे अधिक देखी जाएगी, जहां हर पांच में से एक कर्मचारी नौकरी बदलने पर विचार कर रहा है। बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के साथ-साथ रिटेल सेक्टर में भी यह दर 17-18 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
कर्मचारी मुआवजे की कमी, करियर में आगे बढ़ने के अवसरों की कमी और काम के तनाव जैसे कारणों से नौकरी बदल रहे हैं। काम के माहौल और मान्यता की कमी भी प्रमुख कारण बने हुए हैं। कंपनियों के लिए प्रतिभा को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। इसके जवाब में संगठन आंतरिक गतिशीलता और कौशल विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।
भविष्य की रणनीतियों पर विचार
भविष्य में कंपनियां वेतन वृद्धि के पारंपरिक मॉडल से हट सकती हैं। वे परिवर्तनशील वेतन और प्रदर्शन-आधारित भिन्नता पर अधिक निर्भर हो सकती हैं। आंतरिक पदोन्नति और कौशल विकास को प्रोत्साहन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण भूमिका वाले कर्मचारियों को संगठन से बांधे रखना है। यह बदलाव कंपनियों के लिए दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हो गया है।
