शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

रूस-अमेरिका: भारत की खास कूटनीतिक बैलेंसिंग क्यों बनी विश्व के लिए चुनौती? यहां पढ़ें डिटेल

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New Delhi News: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नई दिल्ली आगमन पर उनका शानदार स्वागत हुआ, जो भारत की विदेश नीति की ख़ास कूटनीतिक बैलेंसिंग को दर्शाता है। एक ओर भारत अपने सबसे पुराने और भरोसेमंद सहयोगी रूस से उन्नत फाइटर जेट और सस्ता तेल खरीद रहा है, वहीं दूसरी ओर वह रूस के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी अमेरिका के साथ भी मजबूत रणनीतिक रिश्ते और हाई-टेक व्यापार स्थापित करने में जुटा है।

यह संतुलन एक दशक से भारत की विदेश नीति का आधार रहा है। यूक्रेन युद्ध के बाद, भारत की विशाल मार्केट और हिंद-प्रशांत में उसकी रणनीतिक स्थिति ने नई दिल्ली की अहमियत बढ़ा दी है। इस समय व्हाइट हाउस और क्रेमलिन दोनों की निगाहें इस उच्च-स्तरीय मुलाकात पर टिकी हैं, जो दर्शाती है कि भारत ने कैसे अपनी स्वतंत्र नीति से वैश्विक पटल पर अपनी जगह मजबूत की है।

भारत की कूटनीतिक बैलेंसिंग: रूस से रक्षा, अमेरिका से व्यापार

भारत की विदेश नीति का मूल मंत्र ही अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना है। यह नीति दो अलग-अलग ध्रुवों के साथ संबंध बनाए रखने पर केंद्रित है:

  • रूस: दशकों पुरानी दोस्ती, उन्नत सैन्य उपकरण (जैसे कि \{SU-30} जेट्स), और सस्ते तेल की नियमित आपूर्ति भारत की ऊर्जा और रक्षा सुरक्षा सुनिश्चित करती है। रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।
  • अमेरिका: हाई-टेक तकनीक, बड़े व्यापारिक समझौते, और निवेश के लिए भारत अमेरिका को एक महत्वपूर्ण भागीदार मानता है। भारत को अमेरिका से बड़े टैरिफ हटने की उम्मीदें भी हैं।
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हाल ही में अमेरिका से \{LPG} खरीदकर और रूस से तेल खरीद कम करके भारत ने अमेरिका को एक संतुलित संदेश दिया है, जबकि पुतिन की यात्रा का मुख्य केंद्र अब भी रक्षा सौदे हैं।

रक्षा सौदों पर मुख्य फोकस: चीन-पाकिस्तान से सुरक्षा की तैयारी

युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की यह भारत यात्रा ख़ास महत्व रखती है, क्योंकि इसका मुख्य फोकस रक्षा सहयोग है। भारत के सामने चीन और पाकिस्तान से सुरक्षा की तैयारी की बड़ी चुनौती है।

  • चीन-पाकिस्तान की साझेदारी: चीन, पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है, जिसके साथ भारत के सीमा विवाद जारी हैं। यह साझेदारी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है।
  • रूसी समर्थन का महत्व: ऐसे में रूस की मदद भारत के लिए बहुत अहम है। भारत के पास रूसी \{SU-30} जेट्स का बड़ा हिस्सा है, जो पाकिस्तान को मात देने में निर्णायक साबित होता है।
  • Su-57 पर चर्चा: क्रेमलिन ने पुष्टि की कि इस बार रूस के सबसे उन्नत फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट \text{Su-57} पर भी बातचीत होगी। यह डील पक्की होने पर पश्चिमी देशों, चीन और पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका होगी। यदि रूस फिफ्थ जनरेशन जेट भारत में बनाने पर राजी होता है, तो यह मुलाकात इतिहास में सफल दर्ज होगी।

अमेरिकी टैरिफ और तेल विवाद ने बढ़ाया तनाव

यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों से रूसी तेल सस्ता हुआ, तो भारत ने बड़ी मात्रा में खरीद बढ़ा दी। इस कारण भारत रूस का शीर्ष तेल खरीदार बन गया। भारत ने स्पष्ट कहा कि उसकी प्राथमिकता 1.4 अरब की आबादी और उसकी अर्थव्यवस्था है।

  • ट्रंप का 50% टैरिफ: अगस्त में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया, जिसके दो मुख्य कारण थे: भारत का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा और रूस से सस्ते तेल की भारी खरीद।
  • प्रतिबंधों का असर: अक्टूबर में ट्रंप ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए, जिससे भारत के तेल आयातकों में हलचल मच गई।
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इस अमेरिकी दबाव के कारण भारत-चीन संबंधों में भी हल्की नरमी दिखी, और प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका को संदेश देने के लिए चीन की यात्रा की।

भारत-अमेरिका के बढ़ते रणनीतिक संबंध

ट्रंप और बाइडेन दोनों प्रशासन भारत को चीन के खिलाफ महत्वपूर्ण संतुलनकारी शक्ति मानते हैं। यही कारण है कि वे भारत को तकनीक ट्रांसफर, सैन्य अभ्यास, और रणनीतिक सहयोग देते रहे हैं।

  • 10-साल की साझेदारी: भारत-अमेरिका ने हाल ही में टेक्नोलॉजी, खुफिया जानकारी और औद्योगिक सहयोग बढ़ाने के लिए एक नई 10-साल की साझेदारी पर सहमति दी है।
  • व्यापार समझौता: सूत्रों के अनुसार, एक बड़ा व्यापार समझौता भी इस साल के अंत तक तैयार हो सकता है।

भारत का स्पष्ट मानना है कि अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार समझौता करना और रूस से मजबूत संबंध रखना-दोनों में कोई विरोधाभास नहीं है। विश्लेषकों का कहना है कि रूस भी इस नए संतुलन को समझता है। वाशिंगटन पुतिन की यात्रा पर बेहद सतर्क है, क्योंकि भारत के लिए व्यापार समझौता पक्का होने से पहले नए विवाद खड़े करना सही नहीं होगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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