Washington News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को लेकर चल रही शांति बातचीत से पूरी तरह ऊब चुके हैं. कई दौर की बैठकों के बाद भी जमीन पर कोई बदलाव न दिखने से वे नाराज हैं. ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा है कि वे अब और समय बर्बाद नहीं करना चाहते. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर मौजूदा हालात नहीं बदले, तो दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बढ़ सकती है. ट्रंप की नाराजगी सिर्फ रूस से नहीं, बल्कि यूक्रेन और यूरोपीय देशों से भी है.
यूरोप ने ठुकराया ट्रंप का लैंड डील प्रस्ताव
यूरोपीय देश लंबे समय से ट्रंप के शांति प्रस्तावों से बचने की कोशिश कर रहे हैं. ट्रंप चाहते हैं कि युद्ध रोकने के लिए यूक्रेन अपनी कुछ जमीन रूस को सौंप दे. यूरोप ने इस प्लान को पूरी तरह अस्वीकार्य बताया है. वहीं, ट्रंप इसे तुरंत लागू होने वाला समाधान मानते हैं. ट्रंप ने सभी पक्षों को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि अगर यह ‘खेल’ जारी रहा, तो परिणाम भयानक होंगे.
मीटिंग के लिए यूरोप नहीं जाएंगे ट्रंप
एक बिजनेस राउंडटेबल के दौरान ट्रंप ने अपनी हताशा जाहिर की. उन्होंने कहा कि वे वीकेंड पर यूरोप मीटिंग के लिए तभी जाएंगे जब कोई ठोस नतीजा निकलने की उम्मीद हो. ट्रंप ने कहा, “हम वहां सिर्फ समय बर्बाद करने नहीं जा सकते.” उन्होंने संकेत दिया कि कई बार देशों को आपस में लड़ने देना ही एकमात्र विकल्प बचता है. यह बयान बताता है कि अमेरिका अब इस कूटनीति से अपने हाथ पीछे खींच सकता है.
यूक्रेन पर जमीन छोड़ने का भारी दबाव
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी पहली बार अमेरिकी दबाव की बात स्वीकार की है. उन्होंने बताया कि अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन डोनेत्स्क क्षेत्र और जापोरिज्ज्या न्यूक्लियर प्लांट से अपना दावा छोड़ दे. अमेरिकी अधिकारी इसे ‘फ्री इकोनॉमिक जोन’ का नाम दे रहे हैं ताकि वहां रूसी सेना की सीधी घुसपैठ न हो.
कैस्पियन सागर में रूस पर बड़ा हमला
शांति वार्ता में गतिरोध के बीच यूक्रेन ने रूस पर अब तक का सबसे चौंकाने वाला हमला किया है. यूक्रेन ने पहली बार कैस्पियन सागर में स्थित रूस के ऑफशोर तेल प्लेटफॉर्म को लंबी दूरी के ड्रोन से निशाना बनाया. यह इलाका युद्ध क्षेत्र से काफी दूर है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन उन सभी आर्थिक स्रोतों को नष्ट कर रहा है जो रूसी सेना को फंड करते हैं.
रूस के ‘एनर्जी ATM’ पर सीधी चोट
यूक्रेन ने रूस की तेल रिफाइनरी, पाइपलाइन और टैंकरों पर हमले तेज कर दिए हैं. अगस्त से नवंबर के बीच रूस की 77 एनर्जी फैसिलिटी पर हमले किए गए हैं. सारातोव रिफाइनरी को आठ बार निशाना बनाया गया है ताकि वह काम न कर सके. विशेषज्ञों के मुताबिक, तेल से होने वाली कमाई रुकने से रूस के लिए सेना में भर्ती करना और वेतन देना मुश्किल हो जाएगा.
