India News: भारत ने यूरोपीय संघ के रूस प्रतिबंध और सेकेंडरी सैंक्शन की धमकी को सिरे से खारिज किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत एकतरफा प्रतिबंधों को नहीं मानता। ऊर्जा सुरक्षा नागरिकों की मूलभूत जरूरत है। भारत ने दोहरे मानदंडों के खिलाफ चेतावनी दी। रूस के साथ ऊर्जा व्यापार भारत की रणनीतिक जरूरत है। केवल संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को भारत स्वीकार करता है।
EU के नए प्रतिबंध
यूरोपीय संघ ने 16 जुलाई 2025 को रूस के खिलाफ 15वें दौर के प्रतिबंधों की घोषणा की। इसमें पहली बार तीसरे देशों पर सेकेंडरी सैंक्शन की चेतावनी शामिल है। इसका असर भारत और चीन जैसे देशों पर पड़ सकता है। EU ने रूस की तेल आय को सीमित करने के लिए तेल मूल्य सीमा को भी कम किया। यह कदम रूस की युद्ध क्षमता को कम करने के लिए उठाया गया। भारत ने इसे एकतरफा कदम बताया।
भारत-रूस ऊर्जा संबंध
भारत रूस से कच्चा तेल, कोयला और प्राकृतिक गैस आयात करता है। अप्रैल 2024 में दोनों देशों ने 10 साल के ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें चाबहार पोर्ट और चाबहार-ज़ाहेदान रेलवे प्रोजेक्ट शामिल हैं। रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता है, जो 35% तेल आपूर्ति करता है। भारत ने ऊर्जा सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बताया। यह समझौता देश की आर्थिक स्थिरता के लिए अहम है।
भारत की रणनीतिक स्वायत्तता
भारत ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद अपनी नीति स्पष्ट की। EU और G7 देश रूस से तेल आयात कम करने का दबाव बना रहे हैं। भारत ने कहा कि वह केवल UN-अनुमोदित प्रतिबंधों को मानता है। विदेश मंत्रालय ने ऊर्जा व्यापार में दोहरे मानदंडों को खारिज किया। भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के लिए कड़ा रुख अपनाएगा। यह बयान देश की संप्रभुता और नागरिकों की जरूरतों को रेखांकित करता है।
