World News: रूस ने एक नई परमाणु क्षमता वाली मिसाइल के सफल परीक्षण का दावा किया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसकी जानकारी सार्वजनिक की है। रविवार को जारी एक वीडियो में पुतिन को सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ देखा जा सकता है। पुतिन ने दावा किया कि ऐसी मिसाइल दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है।
यह मिसाइल ब्यूरेवस्तनिक नाम से जानी जाती है। रूस का कहना है कि यह परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल है। पुतिन के मुताबिक यह मिसाइल 15 घंटे में 14 हजार किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है। इस दावे ने वैश्विक स्तर पर चर्चा शुरू कर दी है।
ब्यूरेवस्तनिक मिसाइल की विशेषताएं
ब्यूरेवस्तनिक मिसाइल को नाटो द्वारा एसएससी-एक्स-9 स्काईफॉल नाम दिया गया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसका परमाणु रिएक्टर है। यह रिएक्टर मिसाइल को लगातार ऊर्जा प्रदान करता रहता है। इससे मिसाइल की रेंज सैद्धांतिक रूप से असीमित हो जाती है।
मिसाइल की गति लगभग 933 किलोमीटर प्रति घंटा बताई जा रही है। यह गति सबसोनिक विमानों के बराबर है। रूस का दावा है कि यह मिसाइल पारंपरिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों से बचने में सक्षम है। इसकी लंबी उड़ान अवधि इसे ट्रैक करना मुश्किल बनाती है।
तकनीकी चुनौतियों का सामना
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी मिसाइल बनाना तकनीकी रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण है। परमाणु रिएक्टर को मिसाइल के अंदर समेटना मुश्किल काम है। रिएक्टर के वजन और आकार को नियंत्रित रखना जरूरी होता है। विकिरण से बचाव के लिए विशेष सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होती है।
रेडियोधर्मी पदार्थों के रिसाव का खतरा हमेशा बना रहता है। साल 2019 में रूस के एक परीक्षण में रेडियोधर्मी घटना की रिपोर्ट आई थी। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चिंता जताई जा रही है। यही कारण है कि अमेरिका ने ऐसी तकनीक पर काम रोक दिया था।
अमेरिका का ऐतिहासिक प्रोजेक्ट
अमेरिका ने 1950-60 के दशक में प्रोजेक्ट प्लूटो नामक समान तकनीक पर काम किया था। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल विकसित करना था। तकनीकी चुनौतियों और सुरक्षा चिंताओं के कारण इसे बंद कर दिया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी मिसाइलें बनाना संभव तो है लेकिन बेहद जोखिम भरा है। महंगी प्रौद्योगिकी और सुरक्षा मानकों को पूरा करना चुनौतीपूर्ण होता है। अमेरिका ने इन्हीं कारणों से इस दिशा में आगे बढ़ने का फैसला नहीं किया।
वैश्विक प्रतिक्रिया और आशंकाएं
रूस के इस दावे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी मिसाइलों के विकास से नई हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है। हथियार नियंत्रण संधियों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव आ सकता है।
पश्चिमी देश रूस के दावों को लेकर संशय जता रहे हैं। उनका कहना है कि अभी तक ऐसी कोई मिसाइल परिचालन में नहीं है। सार्वजनिक रूप से कोई ठोस प्रमाण भी नहीं दिखाया गया है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार अभी यह प्रोजेक्ट विकास के चरण में है।
भविष्य की संभावनाएं
रूस के इस कदम से रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई प्रतिस्पर्धा शुरू हो सकती है। अन्य देश भी ऐसी तकनीक विकसित करने पर विचार कर सकते हैं। चीन और अमेरिका जैसे देशों की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसके सुरक्षा पहलुओं पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
तकनीकी विकास के साथ-साथ सुरक्षा मानकों का ध्यान रखना जरूरी होगा। परमाणु प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग को रोकने के उपायों पर चर्चा हो रही है। अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों की भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। भविष्य में इस तरह के हथियारों के नियंत्रण पर नई बहस शुरू हो सकती है।
