World News: दुनिया भर में युद्ध और तनाव के बीच हथियारों का बाज़ार तेजी से बदल रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताज़ा रिपोर्ट ने बड़े संकेत दिए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका अब दुनिया का निर्विवाद रूप से सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन गया है। वैश्विक बाज़ार में अमेरिका की हिस्सेदारी बढ़कर 43 प्रतिशत हो गई है। वहीं, कभी टक्कर देने वाला रूस अब पिछड़ गया है और उसकी जगह फ्रांस ने ले ली है।
फ्रांस ने रूस को कैसे पछाड़ा?
SIPRI के आंकड़ों से पता चलता है कि फ्रांस अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है। राफेल फाइटर जेट की जबरदस्त मांग ने फ्रांस को इस मुकाम पर पहुंचाया है। भारत, मिस्र और कतर जैसे देशों ने फ्रांसीसी हथियारों पर भरोसा जताया है। ग्लोबल मार्केट में फ्रांस की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत हो गई है। दूसरी तरफ, यूक्रेन युद्ध और कड़े प्रतिबंधों ने रूस की कमर तोड़ दी है। रूसी हथियारों के निर्यात में 64 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है, जिससे वह तीसरे स्थान पर खिसक गया है।
अमेरिका की बादशाहत और चीन की स्थिति
ग्लोबल आर्म्स मार्केट पर अमेरिका की पकड़ सबसे मजबूत है। लॉकहीड मार्टिन और बोइंग जैसी कंपनियों के दम पर अमेरिका दुनिया को फाइटर जेट, मिसाइल और ड्रोन बेच रहा है। उधर, चीन इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है। पाकिस्तान चीन का सबसे बड़ा ग्राहक बना हुआ है। इसके अलावा जर्मनी पांचवें, इटली और तुर्की भी इस रेस में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। तुर्की के ड्रोन टेक्नोलॉजी की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है।
भारत: खरीदार से बना विक्रेता
भारत ने रक्षा क्षेत्र में अपनी तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक के रूप में जाना जाने वाला भारत अब 100 से अधिक देशों को हथियार निर्यात कर रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल का असर साफ दिख रहा है। अब अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया जैसे देश भी भारत से रक्षा उपकरण खरीद रहे हैं। यह बदलाव भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और ग्लोबल पावर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
