Himachal News: हिमाचल प्रदेश के भटियात पंचायत के जंदरोग क्षेत्र में चक्की गांव की स्थिति आजादी के 77 साल बाद भी दयनीय है। ग्रामीण सुविधाओं की कमी ने यहां के लोगों का जीवन मुश्किल बना रखा है। बुधवार को एक मरीज की तबीयत बिगड़ने पर गांववासियों को उसे पालकी पर 13 किलोमीटर पैदल ले जाना पड़ा, जो ग्रामीणों की परेशानियों को उजागर करता है।
मरीज को पालकी से ले जाना पड़ा
56 वर्षीय कमलो देवी की टांग का चंडीगढ़ पीजीआई में ऑपरेशन हुआ था। बुधवार को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। स्वजन ने उन्हें पीजीआई ले जाने का फैसला किया, लेकिन सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को कमलो को पालकी पर जंगल और पहाड़ी रास्तों से मुख्य सड़क तक पहुंचाना पड़ा। यह घटना ग्रामीणों के लिए दुखद और थकाऊ थी, जो मूलभूत सुविधाओं के अभाव को दर्शाती है।
सड़क और स्वास्थ्य केंद्र का अभाव
चक्की, ठेहड़ा, चिहुण, कुट, बातलीबेई, आहन, गोठ, रंथभोंरा और आरुफेरा जैसे गांवों की आबादी करीब 800 है। फिर भी, इन गांवों में न पक्की सड़क है, न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, और न ही आपातकालीन सेवाएं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी उनके लिए रोजमर्रा की चुनौती है। खासकर आपात स्थिति में मरीजों को समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है।
प्रशासन को बार-बार शिकायत
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पंचायत, ब्लॉक और जिला प्रशासन से कई बार सड़क और स्वास्थ्य केंद्र की मांग की है। इसके बावजूद, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीण सुविधाओं की कमी के कारण लोग हर बार ऐसी मुश्किलों का सामना करते हैं। प्रशासन की उदासीनता से ग्रामीणों में निराशा बढ़ रही है, जो अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं।
