शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

रुपया गिरावट: ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, कांग्रेस ने दागे सवाल; जानें क्या बताया जा रहा कारण

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Mumbai News: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया मंगलवार को ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपये में यह गिरावट अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा शुल्क में भारी वृद्धि के फैसले के बाद देखने को मिली है। विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के आगे रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। इससे देश के वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है।

मंगलवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 88.41 पर खुला। दिन भर के कारोबार के दौरान यह गिरकर 88.76 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। इस तरह रुपये में पिछले बंद भाव के मुकाबले 48 पैसे की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट लगातार दूसरे दिन जारी है।

विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ने का असर भारत पर पड़ेगा। इससे अमेरिका से भारत आने वाले धन प्रेषण में कमी आ सकती है। साथ ही भारत के आईटी क्षेत्र के सेवा निर्यात पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह स्थिति रुपये के लिए दोहरी मुसीबत साबित हो रही है।

इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पुराने बयान को साझा किया है। उस वीडियो में मोदी रुपये की गिरावट पर सवाल उठाते नजर आते हैं। वे कहते हैं कि अन्य देशों की मुद्राएं नहीं गिरतीं, तो भारतीय रुपया लगातार कमजोर क्यों हो रहा है। राजनीतिक बहस इस आर्थिक मुद्दे पर गर्मा गई है।

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वित्तीय बाजारों के विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये की गिरावट के कई कारण हैं। वैश्विक स्तर पर जोखिम से बचने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। व्यापारिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। इन सभी कारणों ने रुपये की कमजोरी को बढ़ावा दिया है।

विदेशी निवेशकों ने निकाले पैसे

शेयर बाजार में भी निवेशकों की बेचैनी साफ दिख रही है। सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शेयर बाजार से 2,910 करोड़ रुपये निकाल लिए। यह पूंजी की बड़ी वापसी है। इससे बाजार में दबाव की स्थिति बनी हुई है।

सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के अमित पाबारी ने कहा कि शेयर बाजारों में घबराहट देखी जा रही है। विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी इस बात का संकेत है कि वैश्विक नीतिगत फैसले भारत के बाजारों को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन हालात में रुपये में गिरावट जारी रह सकती है।

घरेलू शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक भी लाल निशान में बंद हुए हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 271 अंक गिरकर 81,887 पर पहुंच गया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 80 अंक टूटकर 25,121 के स्तर पर आ गया। बाजार की मनोदशा नकारात्मक बनी हुई है।

डॉलर की ताकत और तेल के दाम

अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर मजबूत बना हुआ है। छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 97.38 पर पहुंच गया है। डॉलर की मजबूती का असर दुनिया भर की मुद्राओं पर पड़ रहा है। भारतीय रुपया भी इससे अछूता नहीं है।

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वैश्विक तेल कीमतों में हालांकि गिरावट देखने को मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड ऑयल का भाव 0.51 प्रतिशत गिरकर 66.23 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। तेल कीमतों में कमी भारत जैसे आयातक देशों के लिए राहत की बात है। लेकिन इसके बावजूद रुपये में सुधार नहीं देखा जा रहा है।

आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ने का असर भारत के आईटी उद्योग पर सीधा पड़ेगा। इस उद्योग से अमेरिका को होने वाले सेवा निर्यात और धन प्रवाह पर असर पड़ सकता है। इससे देश के चालू खाता घाटे पर दबाव बढ़ सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कर रुपये की गिरावट को रोकने का प्रयास किया जा सकता है। हालांकि, वैश्विक कारकों के चलते रुपये पर दबाव बना रहता है। बाजार अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक विकास दर से जुड़े आंकड़ों पर नजर गड़ाए हुए है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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