Maharashtra News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को भारत की संस्कृति और परंपरा पर बड़ा बयान दिया है। नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव में उन्होंने कहा कि विवादों में पड़ना भारत का स्वभाव नहीं है। भागवत के अनुसार, भारतीय परंपरा हमेशा से भाईचारे और आपसी सद्भाव पर जोर देती आई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्र के मामले में भारत का नजरिया पश्चिमी देशों से बिल्कुल अलग है।
पश्चिमी ‘राष्ट्रवाद’ से अलग है भारत
संघ प्रमुख ने कहा कि हम ‘राष्ट्रवाद’ नहीं, बल्कि ‘राष्ट्रीयता’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं। पश्चिम में राष्ट्र के प्रति अंधाधुंध गर्व के कारण दो बड़े विश्वयुद्ध हुए। इसी वजह से वहां के लोग अब राष्ट्रवाद शब्द से डरते हैं। उन्होंने बताया कि पश्चिमी देश भारत की राष्ट्र वाली अवधारणा को समझ नहीं पाते हैं। वे इसे अपनी तरह ‘राष्ट्रवाद’ कहकर पुकारने लगते हैं, जबकि हमारी सोच उनसे मूल रूप से भिन्न है।
विविधता में एकता हमारी ताकत
भागवत ने जोर देकर कहा कि भारत की राष्ट्रीयता अहंकार से नहीं, बल्कि आपसी संबंधों से बनी है। हम सब भारत माता की संतान हैं और इसलिए हम सब भाई हैं। धर्म, भाषा, खान-पान या परंपरा अलग होने के बावजूद हम एकजुट हैं। RSS सरसंघचालक ने कहा कि भारत हमेशा से एक राष्ट्र रहा है। चाहे यहां अलग-अलग राजाओं का शासन रहा हो या विदेशी हुकूमत रही हो, हमारी सांस्कृतिक एकता कभी नहीं टूटी।
AI और वैश्वीकरण पर अहम सलाह
कार्यक्रम में मोहन भागवत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने युवा लेखकों से कहा कि तकनीक को आगे बढ़ने से रोका नहीं जा सकता। लेकिन इसका रिमोट कंट्रोल इंसान के पास होना चाहिए। AI का इस्तेमाल केवल मानवता की भलाई के लिए होना चाहिए। वैश्वीकरण पर उन्होंने कहा कि असली वैश्वीकरण भारत ही लाएगा। हम दुनिया को बाजार नहीं, बल्कि एक परिवार (वसुधैव कुटुंबकम) मानते हैं।
