शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

RSS प्रमुख मोहन भागवत: विश्व भारत से देख रहा है आशा की किरण, आत्मनिर्भर बनना जरूरी

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100 years of RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर नागपुर के रेशमबाग मैदान में विजयादशमी उत्सव का भव्य आयोजन किया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की और फिर दर्शकों को संबोधित किया।

भागवत ने अपने संबोधन में सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर याद किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी का योगदान अविस्मरणीय है। शास्त्री जी ने देश की सेवा में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। यह समय देशभक्ति की ऐसी मिसालों को याद करने का है।

पहलगाम हमले पर मोहन भागवत की प्रतिक्रिया

संघ प्रमुख ने हालिया पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए गहरी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि सीमापार से आए आतंकियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की। इस घटना ने पूरे देश में क्रोध की लहर पैदा कर दी थी। भागवत ने कहा कि सेना और सरकार ने इस हमले का मजबूती से जवाब दिया। सेना के शौर्य और समाज की एकता ने एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया।

उन्होंने आगे कहा कि इस घटना ने हमें एक महत्वपूर्ण सबक दिया है। हमें सभी के प्रति मित्रभाव रखते हुए भी अपनी सुरक्षा के प्रति सजग रहना होगा। देश के भीतर भी कुछ असंवैधानिक तत्व सक्रिय हैं जो राष्ट्र की शांति भंग करना चाहते हैं। ऐसे में स्वयं को सुरक्षित और समर्थ बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

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वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका

मोहन भागवत ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि पहलगाम हमले के बाद दुनिया के देशों की प्रतिक्रियाओं से हमें अपने सच्चे मित्रों का पता चला। विश्व की नजरें अब भारत पर टिकी हैं। पूरी दुनिया भारत से आशा की किरण देख रही है। भारत की नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना निरंतर बढ़ रही है जो एक सकारात्मक संकेत है।

उन्होंने आधुनिक विश्व की सीमाओं की ओर भी इशारा किया। भागवत के अनुसार आज का विकास मॉडल अधूरा है क्योंकि उसमें आर्थिक विकास तो है पर नैतिक विकास शामिल नहीं है। अमेरिका को विकसित माना जाता है लेकिन यह दृष्टि का अधूरापन है। भारत को विश्व को एक नया रास्ता दिखाने की जरूरत है।

आत्मनिर्भरता और स्वदेशी पर जोर

आरएसएस प्रमुख ने वैश्विक आर्थिक नीतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अमेरिका की नई टैरिफ नीति का उदाहरण देते हुए कहा कि इसका असर सभी देशों पर पड़ रहा है। ऐसे में किसी एक राष्ट्र पर पूरी तरह निर्भर रहना उचित नहीं है। कोई भी देश अलग-थलग रहकर जीवन नहीं जी सकता लेकिन निर्भरता मजबूरी न बन जाए।

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उन्होंने स्पष्ट किया कि इस स्थिति से निपटने का एकमात्र रास्ता आत्मनिर्भरता है। भागवत ने स्वदेशी उत्पादों को अपनाने पर बल दिया। उनका कहना था कि विश्व की एकता को स्वीकार करते हुए भी हमें आत्मनिर्भर बनना होगा। यही भविष्य में देश की समृद्धि और सुरक्षा की कुंजी है।

संघ की भूमिका और भविष्य की दिशा

अपने संबोधन के अंत में मोहन भागवत ने संघ की मूल भावना और उसके मार्ग के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि शाखा एक ऐसा माध्यम है जो अच्छी आदतों को विकसित करती है। संघ को कई बार लालच दिखाए गए और राजनीति में आने के आमंत्रण भी मिले। लेकिन संघ ने हमेशा अपने मूल पथ पर चलने का निर्णय लिया।

उन्होंने स्वयंसेवकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हर परिस्थिति में शाखा को नियमित रूप से चलाया है। यही निरंतरता और अनुशासन संघ की ताकत है। संघ का लक्ष्य समाज में चरित्र निर्माण और राष्ट्रभक्ति की भावना को बढ़ावा देना है। यही उसकी स्थापना का मूल उद्देश्य भी रहा है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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