शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

सड़क सुरक्षा: किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर भूस्खलन से बढ़ा खतरा, अवैज्ञानिक तरीके से की कटाई बनी मुसीबत

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Bilaspur News: किरतपुर से नेरचौक तक के 77 किलोमीटर फोरलेन हाईवे पर वाहन चालकों के लिए सफर अभी भी सुरक्षित नहीं है। तीन साल पहले यातायात शुरू होने के बाद से हर मानसून में इस हाईवे पर भूस्खलन की घटनाएं होती हैं। अवैज्ञानिक तरीके से की गई पहाड़ी कटाई ने इस मार्ग को यात्रियों के लिए मुसीबत बना दिया है।

निर्माण दोषों ने बढ़ाई समस्या

मौजा मैहला के डडनाल जंगल क्षेत्र में मूल अलाइनमेंट बदलकर 90 डिग्री की खड़ी कटाई की गई। इससे हर बारिश में जानलेवा स्थितियां उत्पन्न होती हैं। हाईवे निर्माण से निकले मलबे को कलवर्ट और पुलियों के पास डंप कर दिया गया है। जल निकासी व्यवस्था भी अपर्याप्त है।

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यातायात प्रभावित होने की स्थिति

मैहला, समलेटू, थापना, दड़याना और पनोह क्षेत्रों में बारिश के दौरान यातायात अक्सर एकतरफा हो जाता है। मंडी भराड़ी में करीब आठ घर भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं। अब तक एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है। स्थानीय लोग हाईवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं।

प्रशासनिक कार्रवाई और योजनाएं

आपदा प्रबंधन विभाग ने एनएचएआई को भूस्खलन रोकने के स्थायी समाधान का निर्देश दिया है। बिलासपुर के मैहला क्षेत्र में पहाड़ को 25 मीटर अंदर तक काटकर स्थायी समाधान का प्रयास किया जा रहा है। परियोजना निदेशक ने बताया कि इसी फॉर्मूले से अन्य स्थानों पर भी काम किया जाएगा।

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आर्थिक प्रभाव और लागत

4200 करोड़ रुपये की लागत से बने इस फोरलेन पर हर साल मरम्मत और मलबा हटाने में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। स्थानीय निवासी टोल टैक्स के बदले बेहतर सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हाईवे पर 60 किमी/घंटा की गति सीमा स्थानीय सड़कों जैसी ही है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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