Himachal News: हिमाचल प्रदेश में आरक्षण के मुद्दे पर विवाद गहरा गया है। राजपूत महासभा ने धर्मशाला विधानसभा सत्र के दौरान कुछ विधायकों के रुख पर कड़ी आपत्ति जताई है। महासभा ने एक आपात बैठक में विधायकों के सामाजिक और राजनीतिक बहिष्कार का ऐलान किया है। संगठन का आरोप है कि स्वर्ण समाज के प्रतिनिधियों ने ही सुप्रीम कोर्ट के नियमों के खिलाफ जाकर आरक्षण बढ़ाने का प्रस्ताव रखा।
आरक्षण सीमा बढ़ाने पर विरोध
महासभा के अध्यक्ष ई.के.एस. जम्वाल और महासचिव विजय चंदेल ने संयुक्त बयान जारी किया। उन्होंने शाहपुर और नगरोटा के विधायकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। इन विधायकों ने एक विशेष समुदाय का आरक्षण 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग की थी। राजपूत महासभा ने इसे स्वर्ण समाज के हितों पर चोट बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम सामाजिक संतुलन को बिगाड़ने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट के नियमों की अनदेखी
महासभा ने स्पष्ट किया कि वे संविधान और सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था का सम्मान करते हैं। वे आर्थिक आधार और क्रीमी लेयर के सिद्धांत के पक्षधर हैं। महासभा का कहना है कि आरक्षण का लाभ केवल जरूरतमंद और वंचित परिवारों को मिलना चाहिए। विधायकों द्वारा नियमों के विपरीत प्रस्ताव लाना चिंता का विषय है।
आय सीमा और विधायकों की चुप्पी
संगठन ने विधायकों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। महासभा लंबे समय से सामान्य वर्ग के लिए आर्थिक आय सीमा बढ़ाने की मांग कर रही है। वे चाहते हैं कि इसे 4 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपये किया जाए। लेकिन, इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर स्वर्ण वर्ग के जनप्रतिनिधि खामोश रहे। इससे समाज में भारी निराशा है।
विधायकों के बहिष्कार का ऐलान
राजपूत महासभा ने कड़ा निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को सभी वर्गों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। महासभा ने चेतावनी दी है:
- जब तक विधायक समाज के मुद्दों पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाते, उनका विरोध जारी रहेगा।
- स्वर्ण समाज इन विधायकों के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कार्यक्रमों का बहिष्कार करेगा।
- भविष्य में संविधान और सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखकर ही निर्णय लिए जाने चाहिए।
