Himachal News: इस साल गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ का नजारा बेहद खास होने वाला है। हिमाचल प्रदेश पहली बार अपने वीरों की गाथा पूरी दुनिया को दिखाएगा। राज्य की झांकी में गैलेंटरी अवार्ड विजेताओं को विशेष सम्मान दिया जाएगा। इसमें परमवीर चक्र और अशोक चक्र विजेताओं की तस्वीरें शामिल होंगी। साथ ही बर्फ से ढके पहाड़ भी नजर आएंगे। यह झांकी देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले रणबांकुरों को समर्पित है।
बलिदानियों के लिए बजेगी विशेष धुन
भाषा एवं संस्कृति विभाग ने यह अनूठी पहल की है। गणतंत्र दिवस परेड में हिमाचल की झांकी वीरों के अदम्य साहस को बयां करेगी। इसके लिए एक विशेष धुन भी तैयार की गई है। जब यह धुन कर्तव्य पथ पर गूंजेगी, तो हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। यह केवल एक झांकी नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति हिमाचल के योगदान का प्रमाण होगी। सीमाओं पर तैनात जवानों का हौसला इस प्रस्तुति में साफ दिखेगा।
वीरभूमि के नाम सबसे ज्यादा पदक
हिमाचल प्रदेश को ऐसे ही ‘वीरभूमि’ नहीं कहा जाता। रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य को अब तक 1203 वीरता पुरस्कार (Gallantry Awards) मिले हैं। यह देश में सबसे अधिक है। एक छोटे से पहाड़ी राज्य का देश की रक्षा में यह योगदान बहुत बड़ा है। गणतंत्र दिवस पर यह झांकी इसी शौर्यगाथा को जीवंत करेगी। लोग उन असली हीरो के चेहरों को देख सकेंगे, जिनकी वजह से देश सुरक्षित है।
मेजर सोमनाथ से लेकर कैप्टन बत्रा तक
देश का पहला परमवीर चक्र हिमाचल के मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला था। वे कांगड़ा के रहने वाले थे। झांकी में कारगिल युद्ध के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा की भी झलक दिखेगी। पालमपुर के विक्रम बत्रा ने दुश्मनों के दांत खट्टे किए थे। इसके अलावा मेजर धन सिंह थापा और राइफलमैन संजय कुमार (अब सूबेदार मेजर) का भी जिक्र होगा। राज्य को 4 परमवीर चक्र, 2 अशोक चक्र और 10 महावीर चक्र मिल चुके हैं।
अंतिम मंजूरी का इंतजार
हिमाचल प्रदेश की झांकी देश के 17 राज्यों की लिस्ट में जगह बना चुकी है। केंद्र सरकार के साथ अब तक पांच बैठकें हो चुकी हैं। अगली अहम बैठक 22 दिसंबर को नई दिल्ली में होनी है। इसके बाद गणतंत्र दिवस के लिए झांकी को फाइनल मंजूरी मिल जाएगी। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस बार वीरभूमि का प्रदर्शन यादगार रहेगा।
