Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कीरतपुर-मनाली हाईवे पर अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए। कोर्ट ने कुल्लू, मंडी और बिलासपुर के उपायुक्तों को हाईवे के किनारे सभी अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया। तीनों जिलों के डीसी को अतिक्रमण की स्थिति पर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
एनएचएआई को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण अधिनियम, 2002 के तहत नया हलफनामा दायर करने को कहा। कोर्ट ने पूछा कि अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी किसकी है। साथ ही, हाईवे के केंद्र से निर्माण की दूरी और अनुमति की प्रक्रिया स्पष्ट करने को कहा। इससे भविष्य के लिए दिशा-निर्देश बनाए जा सकेंगे।
हाईवे की कार्यक्षमता बनाए रखने पर जोर
कोर्ट ने कहा कि करोड़ों रुपये की लागत से बने हाईवे को अतिक्रमण से बचाना जरूरी है। सरकारी एजेंसियों और एनएचएआई को हाईवे की संरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। कोर्ट ने व्यावसायिक गतिविधियों को हाईवे की कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचाने से रोकने का निर्देश दिया। इससे यात्रियों को सुगम यात्रा मिल सकेगी।
बिलासपुर डीसी ने मांगी माफी
बिलासपुर के उपायुक्त राहुल कुमार ने कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने बताया कि घुमारवीं, झंडूता, नैना देवी और सदर क्षेत्रों में 49 अतिक्रमण हटाए गए। बिलासपुर में हाईवे का 50 किलोमीटर हिस्सा आता है। कोर्ट ने पहले डीसी के हलफनामे पर नाराजगी जताते हुए उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था।
याचिका और अतिक्रमण की स्थिति
यह आदेश फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव मदन शर्मा की 2023 की याचिका पर आया। याचिका में कहा गया कि किरतपुर-नेरचौक हाईवे पर फुटपाथ, बैरिकेड्स और फुट ओवरब्रिज की कमी से यह असुरक्षित है। एनएचएआई ने बिलासपुर में 91 अवैध अतिक्रमण चिह्नित किए, जिनमें 50 अस्थायी और 41 स्थायी ढांचे हैं। सभी को नोटिस जारी किए गए हैं।
