Himachal News: हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति का निजी मामला है। राज्यों को धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। शनिवार को एक राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता पर जोर दिया। सुक्खू ने ‘संवैधानिक चुनौतियां: परिप्रेक्ष्य और मार्ग’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान करना भारत की परंपरा है।
धर्म और संविधान पर चर्चा
सुक्खू ने ‘धर्म और संविधान: सुरक्षा और दिशानिर्देश’ सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि भारत अपनी धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाना जाता है। सभी धर्मों का सम्मान करना हमारी एकता का आधार है। सीएम ने जोर देकर कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता से समाज में शांति बनी रहती है। धार्मिक मूल्यों के अभाव में हिंसा और संघर्ष की आशंका बढ़ जाती है।
धर्म को राजनीति से अलग रखें
मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म को लोगों को बांटने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा या भेदभाव को नहीं बढ़ावा देता। सुक्खू ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना में बंधुत्व शब्द पर जोर दिया। यह एकता और शांति का प्रतीक है। इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी भारत सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
धार्मिक सहिष्णुता की परंपरा
सुक्खू ने कहा कि भारत की प्राचीन सभ्यता धार्मिक सहिष्णुता पर गर्व करती है। धार्मिक स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अंतरात्मा की आवाज उठाने का अधिकार देती है। उन्होंने कहा कि संविधान इस विश्वास को मजबूती देता है। धार्मिक स्वतंत्रता से एकता को बढ़ावा मिलता है। सीएम ने शांति और भाईचारे की परंपराओं को कायम रखने की अपील की।
सम्मेलन में अन्य नेताओं की मौजूदगी
सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, अभिषेक सिंघवी, अलका लांबा और प्रमोद तिवारी भी शामिल थे। सभी ने धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों पर अपने विचार रखे। सुक्खू ने कहा कि धर्म और राजनीति को अलग रखकर ही समाज में शांति सुनिश्चित की जा सकती है।
