शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

लाल किला ब्लास्ट: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के ‘रूम 13’ से टर्की तक, जानें क्या हुए 10 बड़े खुलासे

Share

India News: लाल किला ब्लास्ट की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच एजेंसियों ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कश्मीर में फैले आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। सीसीटीवी फुटेज और एन्क्रिप्टेड चैट के विश्लेषण से साजिश का पता चला है। शिक्षित पेशेवरों के एक समूह ने यह साहसिक आतंकी साजिश रची थी।

जांच में अल-फलाह यूनिवर्सिटी फरीदाबाद को आतंकियों का अड्डा पाया गया। यहां से 2900 किलो विस्फोटक बरामद हुए हैं। तीन कश्मीरी डॉक्टर इस साजिश के मास्टरमाइंड बताए जा रहे हैं। डॉ उमर उन नबी, डॉ मुजम्मिल अहमद गनाई और डॉ मुजफ्फर रदर ने अमोनियम नाइट्रेट जमा किया था।

व्हाइट कोट टेरर मॉड्यूल का खुलासा

इस समूह को व्हाइट कोलर टेरर मॉड्यूल नाम दिया गया है। अधिकांश आरोपी मेडिकल पेशेवर हैं। डॉ उमर ने विस्फोटकों से भरी हुंडई आई20 कार चलाई थी। वह 28 साल के कश्मीर के रहने वाले थे। डॉ मुजम्मिल और डॉ मुजफ्फर उनके करीबी सहयोगी थे।

डॉ शाहीन सईद लखनऊ से लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रहे थे। आरोपियों ने अल-फलाह में अन्य छात्रों को भी रेडिकलाइज किया था। वे टेलीग्राम और सिग्नल ऐप के जरिए समन्वय करते थे। मुजफ्फर के लिए इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस मांगा गया है।

यह भी पढ़ें:  PM Modi ने मोतिहारी में बिहार को दी 7200 करोड़ की सौगात, जानें कौन-कौन सी योजनाएं शामिल

टर्की कनेक्शन और यूकासा लिंक

जांच में टर्की स्थित हैडलर का पता चला है। उसका कोड नाम यूकासा था। वह दिल्ली स्थित डॉक्टरों और जैश-ए-मोहम्मद के बीच कड़ी का काम कर रहा था। डॉ उमर और उनके सहयोगी 2021-22 में टर्की गए थे। वहां उन्होंने आइडियोलॉजिकल ट्रेनिंग ली थी।

यूकासा ने उन्हें गुप्त सेल बनाने के तरीके बताए थे। एनआईए विदेशी एजेंसियों के साथ मिलकर उसके डिजिटल फुटप्रिंट ट्रैक कर रही है। इसके अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की जांच की जा रही है।

चार शहरों में हमले की योजना

इस मॉड्यूल ने चार शहरों में एक साथ धमाकों की योजना बनाई थी। आठ संदिग्धों को दो-दो के जोड़े में बांटा गया था। हर जोड़े को एक शहर की जिम्मेदारी दी गई थी। दिल्ली और अयोध्या में हमले की योजना थी।

अयोध्या में हमला 25 नवंबर के आसपास राम मंदिर कार्यक्रमों के दौरान करने की साजिश थी। हर जोड़े के पास कई आईईडी होने थे। खुफिया सूत्रों के अनुसार दो और वाहनों को हमलों के लिए तैयार किया जा रहा था।

यह भी पढ़ें:  भारतीय रुपया: अब 34 देशों में बजेगा डंका, डॉलर की बादशाहत को बड़ी चुनौती!

रूम 13 डायरी और फंडिंग

अल-फलाह यूनिवर्सिटी के रूम 13 और रूम 4 से कोडेड नोटबुक मिली हैं। इनमें 8 से 12 नवंबर की तारीखें और कोडेड नाम थे। ऑपरेशन शब्द की बार-बार चर्चा मिली है। 25-30 लोगों के नामों के संदर्भ मिले हैं।

संदिग्धों ने 26 लाख रुपये से ज्यादा का फंड जमा किया था। इस पैसे से गुरुग्राम और नूंह से एनपीके उर्वरक खरीदा गया था। यह उर्वरक होममेड विस्फोटकों का प्रमुख घटक है। विदेशी फंडिंग की भी आशंका जताई जा रही है।

डीएनए टेस्ट और अंतिम घंटे

डीएनए प्रोफाइलिंग से पुष्टि हुई कि डॉ उमर कार के ड्राइवर थे। उनकी टांग स्टीयरिंग व्हील और एक्सीलरेटर के बीच फंसी मिली थी। उनके अवशेषों का मिलान एम्स में उनकी मां और भाई के सैंपल से हुआ था। विस्फोट समय से पहले हो गया था।

सीसीटीवी फुटेज में डॉ उमर को फरीदाबाद से निकलने के बाद नूंह के पास खाना खाते देखा गया। वह बादापुर बॉर्डर से दिल्ली दाखिल हुए थे। विस्फोट से पहले वह आसफ अली रोड स्थित एक मस्जिद के पास तीन घंटे तक रुके थे।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News