Mumbai News: भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग क्षेत्र के लिए सात नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें ब्याज दरों, सोने-चांदी के बदले ऋण और पूंजी नियमन से जुड़े महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। ये सभी नए नियम एक अक्टूबर 2025 से लागू होंगे। केंद्रीय बैंक ने चार नए मसौदा दिशानिर्देश भी प्रकाशित किए हैं।
इन बदलावों से ग्राहकों और बैंकों दोनों को फायदा होने की उम्मीद है। नए नियम बैंकिंग प्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाएंगे। उधारकर्ताओं के हितों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होगी। बैंकों के लिए परिचालन में लचीलापन बढ़ेगा।
फ्लोटिंग रेट लोन में बदलाव
आरबीआई ने इंटरेस्ट रेट ऑन एडवांसेज के तहत फ्लोटिंग रेट लोन के नियमों में संशोधन किया है। अब तक बैंक तीन साल में ही स्प्रेड बदल सकते थे। नए नियमों के तहत उधारकर्ताओं के हित में यह पहले भी कम किया जा सकेगा। इससे ग्राहकों को लाभ मिलेगा।
ईएमआई आधारित पर्सनल लोन पर रीसेट के समय फिक्स्ड रेट में बदलने का विकल्प अब अनिवार्य नहीं रहेगा। यह बैंकों के विवेक पर होगा। इससे बैंकों को ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार उत्पाद तैयार करने में मदद मिलेगी। ग्राहकों को अधिक विकल्प मिलेंगे।
सोने-चांदी के बदले ऋण
सोने और चांदी के बदले ऋण देने के नियमों में भी बदलाव किया गया है। अब सिर्फ ज्वैलर्स ही नहीं बल्कि वे उद्योग भी पात्र होंगे जो सोने का इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में करते हैं। इससे विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। व्यवसायियों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिल सकेगी।
टियर-3 और टियर-4 शहरी सहकारी बैंकों को भी अब सोने-चांदी के बदले ऋण देने की अनुमति मिल गई है। इससे छोटे बैंकों के व्यवसाय में विविधता आएगी। ग्राहकों के लिए ऋण के अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे। सहकारी बैंकों की आय के स्रोत बढ़ेंगे।
पूंजी नियमन में संशोधन
बेसल-III पूंजी नियमन के तहत परपेचुअल डेट इंस्ट्रूमेंट्स और विदेशी मुद्रा बांडों पर नियम स्पष्ट किए गए हैं। ये नियम केवल अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होंगे। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक इनसे अलग रहेंगे। इससे बैंकों के लिए पूंजी प्रबंधन आसान होगा।
नए नियम बैंकों की वित्तीय स्थिरता को मजबूत करेंगे। जोखिम प्रबंधन में सुधार होगा। बैंकिंग प्रणाली और अधिक मजबूत बनेगी। निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा। अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा।
मसौदा दिशानिर्देश
आरबीआई ने गोल्ड मेटल लोन के लिए ज्वैलर्स की पुनर्भुगतान अवधि 180 दिन से बढ़ाकर 270 दिन की है। जो गैर-निर्माता आभूषण उत्पादन आउटसोर्स करते हैं, उन्हें भी अब ऋण की अनुमति मिलेगी। इससे ज्वैलरी व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा।
लार्ज एक्सपोजर फ्रेमवर्क में विदेशी बैंकों की शाखाओं के हेड ऑफिस से जुड़े लेनदेन की स्पष्टता दी गई है। क्रेडिट इन्फॉर्मेशन रिपोर्टिंग में बैंकों को अब साप्ताहिक आधार पर डेटा जमा करना होगा। इससे क्रेडिट रिपोर्टिंग की गुणवत्ता में सुधार होगा।
आरबीआई ने इन मसौदा नियमों पर 20 अक्टूबर 2025 तक सुझाव आमंत्रित किए हैं। बैंकिंग उद्योग और आम जनता इन पर अपनी राय दे सकती है। इसके बाद अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। यह प्रक्रिया पारदर्शी और समावेशी नीति निर्माण सुनिश्चित करेगी।
