National News: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए दिशा-निर्देशों के बाद अब फोनपे, पेटीएम और क्रेड जैसे ऐप्स पर क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान की सुविधा पूरी तरह बंद हो गई है। आरबीआई ने 15 सितंबर से पेमेंट एग्रीगेटर्स और पेमेंट गेटवे के लिए नियम सख्त किए हैं, जिसके बाद सभी प्रमुख फिनटेक प्लेटफॉर्म्स ने यह सेवा रोक दी है। इससे उन लाखों किरायेदारों को झटका लगा है जो रिवॉर्ड पॉइंट्स और कैशबैक के लिए क्रेडिट कार्ड से किराया चुकाते थे।
आरबीआई के नए नियमों के अनुसार, अब पेमेंट एग्रीगेटर्स केवल उन्हीं व्यापारियों के साथ लेनदेन कर सकते हैं जिनसे उनका सीधा अनुबंध है और जिनकी पूरी केवाईसी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। चूंकि अधिकांश मकान मालिक व्यापारियों के रूप में पंजीकृत नहीं हैं, इसलिए उन्हें क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान भेजना असंभव हो गया है। इस नियम का उद्देश्य भुगतान प्रणाली में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इस परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव उन किरायेदारों पर पड़ेगा जो क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके वित्तीय लाभ प्राप्त करते थे। वे रिवॉर्ड पॉइंट्स, कैशबैक और 45-60 दिनों की ब्याज-मुक्त अवधि का फायदा उठाते थे। अब उन्हें पारंपरिक भुगतान विधियों जैसे बैंक ट्रांसफर, यूपीआई, या चेक का सहारा लेना होगा, जिससे उनके वित्तीय लाभ समाप्त हो गए हैं।
बैंकों और फिनटेक कंपनियों की प्रतिक्रिया
आरबीआई के इस कदम से पहले ही कई प्रमुख बैंकों ने क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान पर रोक लगाने के संकेत दे दिए थे। एचडीएफसी बैंक ने जून 2024 में किराया भुगतान पर 1% अतिरिक्त शुल्क लगाना शुरू कर दिया था। आईसीआईसीआई बैंक और एसबीआई कार्ड्स ने मार्च-अप्रैल 2024 में किराया भुगतान पर मिलने वाले रिवॉर्ड पॉइंट्स बंद कर दिए थे।
मार्च 2024 से ही कई फिनटेक ऐप्स जैसे फोनपे, पेटीएम, मोबिक्विक, फ्रीचार्ज और अमेज़न पे ने किराया भुगतान सेवा रोक दी थी। हालांकि कुछ ऐप्स ने अतिरिक्त केवाईसी प्रक्रिया के साथ इस सेवा को अस्थायी रूप से फिर से शुरू किया, लेकिन आरबीआई के नए नियमों ने इसे पूरी तरह से बंद कर दिया है।
किराया भुगतान का व्यवसाय मॉडल
क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान फिनटेक कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यवसाय मॉडल बन गया था। उपयोगकर्ता किराया चुकाने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते थे और बदले में रिवॉर्ड प्वाइंट्स और कैशबैक प्राप्त करते थे। फिनटेक कंपनियां इस पर सुविधा शुल्क वसूलकर अच्छा मुनाफा कमा रही थीं। साथ ही कार्ड खर्च बढ़ने से बैंकों को भी फायदा होता था।
आरबीआई को यह मॉडल केवाईसी अनुपालन की कमी और संभावित दुरुपयोग की वजह से जोखिम भरा लग रहा था। नए नियमों के तहत, पेमेंट एग्रीगेटर्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि एक मार्केटप्लेस उस विक्रेता के लिए भुगतान स्वीकार नहीं करता है जो मार्केटप्लेस के प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्ड नहीं है।
यूजर्स के लिए विकल्प
अब किरायेदारों के पास क्रेडिट कार्ड से किराया चुकाने का विकल्प नहीं बचा है। उन्हें पारंपरिक भुगतान विधियों जैसे एनईएफटी, आईएमपीएस, यूपीआई बैंक ट्रांसफर या चेक का इस्तेमाल करना होगा। इन विधियों में न तो रिवॉर्ड पॉइंट्स मिलते हैं और न ही ब्याज-मुक्त अवधि का फायदा।
हालांकि ये तरीके अपेक्षाकृत सुरक्षित और परंपरागत हैं, लेकिन इनमें वित्तीय लाभ की कोई गुंजाइश नहीं है। मकान मालिकों के लिए भी यह बदलाव आसान नहीं है, क्योंकि उन्हें तुरंत और सुरक्षित भुगतान मिलने के बजाय पारंपरिक भुगतान तरीकों पर लौटना होगा।
फिनटेक कंपनियां अब विकल्प तलाश रही हैं कि कैसे इन नियमों का पालन करते हुए रेंट पेमेंट सर्विस को दोबारा शुरू किया जा सके। बैंकों के लिए यह एक मौका हो सकता है कि वे इस स्पेस में नए समाधान लाएं। यूजर्स को सलाह दी जा रही है कि वे अपने मकान मालिक से अन्य डिजिटल पेमेंट विकल्पों पर बात करें।
यह बदलाव भले ही तुरंत कठिन लगे, लेकिन वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता के लिहाज से इसे एक आवश्यक कदम माना जा रहा है। आरबीआई का यह कदम फिनटेक सेक्टर को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
