New Delhi News: आरबीआई ने डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को लेकर बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय बैंक ने नए नियम जारी किए हैं जो 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करना और उनकी शिकायतों का समाधान करना है। अब बैंक ग्राहकों पर जबरन मोबाइल ऐप डाउनलोड करने का दबाव नहीं बना सकेंगे। आरबीआई के इस कदम से डिजिटल बैंकिंग अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनेगी।
क्यों पड़ी नए नियमों की जरूरत?
आरबीआई को लगातार ग्राहकों से शिकायतें मिल रही थीं। कई बैंकों द्वारा इंटरनेट बैंकिंग या कार्ड एक्टिवेशन के लिए मोबाइल ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य किया जा रहा था। नए नियमों के बाद ऐसी मनमानी पर रोक लगेगी। यह कदम ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है। इससे सेवाओं की बंडलिंग रुकेगी और ग्राहक अपनी मर्जी से सेवाओं का चुनाव कर सकेंगे।
ट्रांजैक्शन सेवाओं के लिए लेनी होगी मंजूरी
डिजिटल बैंकिंग शुरू करने के लिए अब बैंकों को सख्त प्रक्रिया से गुजरना होगा। जो बैंक केवल जानकारी (जैसे बैलेंस चेक) देना चाहते हैं, उन्हें मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। लेकिन पैसे ट्रांसफर जैसी ट्रांजैक्शन सेवाओं के लिए आरबीआई से पहले मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। बैंकों को अपनी साइबर सुरक्षा और आईटी सिस्टम को भी मजबूत करना होगा।
ग्राहकों को क्या मिलेगा फायदा?
नए नियमों से ग्राहकों को काफी राहत मिलेगी।
- अब कोई भी बैंक आपको डेबिट कार्ड के साथ डिजिटल चैनल लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
- आरबीआई ने हर लेनदेन के लिए एसएमएस या ईमेल अलर्ट भेजना अनिवार्य कर दिया है।
- ग्राहकों की सहमति के बिना थर्ड-पार्टी प्रोडक्ट नहीं दिखाए जाएंगे।
- सभी नियम और शर्तें आसान भाषा में समझानी होंगी।
बैंकों और थर्ड-पार्टी पर लागू होंगे नियम
यह दिशा-निर्देश सीधे तौर पर सभी बैंकों पर लागू होंगे। अगर बैंक किसी फिनटेक या तीसरी कंपनी से सेवाएं आउटसोर्स करते हैं, तो उन्हें भी नियम मानने होंगे। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा मानकों में कोई ढील नहीं दी जाएगी। जहां एक से अधिक नियामक के नियम लागू होंगे, वहां सबसे सख्त नियम ही मान्य होंगे।
