Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में सदियों से राउलाने मेले का आयोजन किया जाता है। यह अनूठा त्योहार कल्पा गांव में फाल्गुन मास के दौरान मनाया जाता है। इस मेले में बौद्ध और हिंदू दोनों धर्मों के लोग एक साथ भाग लेते हैं। राउलाने मेला किन्नौर की जनजातीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा को दर्शाता है।
अनूठी है पूजा की परंपरा
राउलाने मेले की शुरुआत सुबह कुल देवता की पूजा से होती है। कल्पा में गुप्त देवता के मंदिर में सात दिन तक विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान पुरुष महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा पहनकर मंदिर जाते हैं। निगारो पूजा प्रक्रिया में बजंतरी वाद्ययंत्र बजाते हैं। इस पूजा में मदिरा को भी शामिल किया जाता है।
राउलाने और राउला की भूमिका
मेले के दौरान राउलाने और राउला बनाए जाते हैं। राउलाने महिला और राउला पुरुष का प्रतिनिधित्व करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि दोनों भूमिकाएं पुरुषों द्वारा निभाई जाती हैं। राउलाने के चेहरे को गाछी से ढक दिया जाता है। यदि कोई व्यक्ति ढके हुए चेहरे को पहचान ले तो इसे शुभ माना जाता है।
मेले का धार्मिक महत्व
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास में देवी-देवता स्वर्ग लोक के प्रवास पर रहते हैं। इस दौरान नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव को रोकने के लिए यह मेला आयोजित किया जाता है। मेले के अंतिम दिन इन शक्तियों को वापस उनके स्थान पर भेज दिया जाता है। लोगों का मानना है कि इससे क्षेत्र में सुख-शांति बनी रहती है।
पारंपरिक व्यंजनों की भरमार
मेले के दौरान घर-घर में पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं। दु, ओगला और फाफरे जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं। मोमो, जुते और हलवा-पूरी भी परोसे जाते हैं। नमकीन चाय का विशेष रूप से सेवन किया जाता है। तोषिम कार्यक्रम के दौरान सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है।
तीन दिन तक चलता है उत्सव
राउलाने मेला तीन दिन तक चलता है। इस दौरान किन्नौरी नाटी कायंग का आयोजन किया जाता है। मेले में किन्नौर की सभी तहसीलों से लोग भाग लेते हैं। लोग पारंपरिक परिधान पहनकर मंदिर प्रांगण में एकत्र होते हैं। रिश्तेदारों को विशेष रूप से मेले में आमंत्रित किया जाता है।
सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
राउलाने मेला किन्नौर की सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है। बौद्ध और हिंदू धर्म के लोग एक साथ इस त्योहार को मनाते हैं। यह मेला क्षेत्र की सामाजिक सद्भावना को मजबूत करता है। पर्यटकों के लिए यह मेला किन्नौर की संस्कृति को समझने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
