Himachal News: हिमाचल प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य विभाग ने राशन डिपो की जांच में भारी लापरवाही बरती है। हजारों दुकानों का निरीक्षण ही नहीं किया गया। इसका सीधा असर आम राशन कार्ड धारकों पर पड़ा है। विभाग ने जांच के तय लक्ष्यों को अपनी मर्जी से घटा दिया, जिससे निगरानी व्यवस्था कमजोर पड़ गई है।
जांच के लक्ष्यों में भारी कटौती
कैग की रिपोर्ट ने पिछले तीन सालों के आंकड़ों की पोल खोली है। वर्ष 2019-20 में विभाग को करीब 20 हजार दुकानों की जांच करनी थी। अधिकारियों ने यह लक्ष्य घटाकर सिर्फ 10,560 कर दिया। यानी 47 फीसदी दुकानें जांच के दायरे से बाहर रह गईं। यही हाल अगले दो सालों में भी रहा। वर्ष 2020-21 और 2021-22 में भी लगभग 48 प्रतिशत दुकानों की निगरानी नहीं हुई। हजारों डिपो बिना किसी जांच के चल रहे थे। इससे राशन कार्ड उपभोक्ताओं को मिलने वाली सुविधाओं पर असर पड़ा है।
राशन की गुणवत्ता पर खतरा
निगरानी न होने से भ्रष्टाचार और गड़बड़ी का खतरा बढ़ गया है। कैग ने इसे विभाग की गंभीर लापरवाही माना है। जब डिपो की नियमित जांच नहीं होती, तो खराब राशन बंटने का डर रहता है। राशन कार्ड वालों को कम अनाज मिलने या वितरण में देरी की समस्या हो सकती है। निरीक्षण की कमी से पूरी वितरण व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। लाभार्थियों तक उनका पूरा हक पारदर्शी तरीके से नहीं पहुंच पा रहा है।
सिस्टम सुधारने की नसीहत
रिपोर्ट में विभाग को काम करने के तरीके में सुधार के निर्देश दिए गए हैं। कैग ने साफ कहा है कि अगर लक्ष्य ही कम तय होंगे, तो सुधार कैसे होगा? निरीक्षण के लक्ष्य वास्तविक जरूरत के हिसाब से तय होने चाहिए। केवल कागजों पर खानापूर्ति करना गलत है। हर राशन कार्ड धारक को सही गुणवत्ता और मात्रा में राशन मिलना सुनिश्चित करना होगा। विभाग को सभी दुकानों की नियमित जांच करनी चाहिए।
