Himachal News: सुंदरनगर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपित सुनील कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी। 21 जून को धनोटू थाने में उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। अभियोजन ने तर्क दिया कि आरोपित गंभीर अपराध में शामिल है और जमानत मिलने पर गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
बचाव पक्ष की दलील
आरोपित के वकील ने दावा किया कि सुनील निर्दोष है। शिकायतकर्ता को उसकी पत्नी के सैलून से अनुशासनहीनता के कारण निकाला गया था। इसके बाद प्रतिशोध में केस दर्ज कराया गया। वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता ने कथित घटना के बाद सामाजिक आयोजनों में हिस्सा लिया, जो उसकी सामान्य मानसिक स्थिति दर्शाता है।
अभियोजन का विरोध
अभियोजन ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपित ने गंभीर अपराध किया है। वह गवाहों पर दबाव डाल सकता है। पुलिस रिपोर्ट में कहा गया कि शिकायतकर्ता आरोपित के घर में किराए पर रहती थी। सुनील ने सितंबर 2024 से उसे फोन पर परेशान किया और 14 जून को जबरन शारीरिक संबंध बनाए। अधिक जानकारी के लिए हिमाचल पुलिस की वेबसाइट देखें।
पुलिस की रिपोर्ट
पुलिस के अनुसार, शिकायतकर्ता सैलून में काम करती थी। आरोपित ने शादी का झूठा वादा कर उसका शोषण किया। वह अलग-अलग नंबरों से फोन करता था। 14 जून को उसने जबरन शारीरिक संबंध बनाए। शिकायतकर्ता ने इसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज की।
कोर्ट का फैसला
न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला दिया। अपराध की गंभीरता और गवाहों पर दबाव की आशंका को देखते हुए जमानत खारिज की गई। कोर्ट ने कहा कि सामाजिक कलंक के कारण एफआईआर में देरी अपराध की गंभीरता को कम नहीं करती।
मामले की स्थिति
आरोपित के खिलाफ जांच जारी है। कोर्ट ने अभियोजन के तर्कों को मजबूत माना। यह फैसला दुष्कर्म जैसे मामलों में कठोर रुख दर्शाता है। न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बरकरार रखने पर जोर दिया गया।
