Himachal News: रामायण की कथाएं हर भारतीय के दिल में बसी हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री राम की एक बड़ी बहन भी थीं, जिनका नाम शांता था? हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में ऋषि श्रृंग के मंदिर से जुड़ी कहानी शांता को लेकर नई रोशनी डालती है। राजा दशरथ और माता कौशल्या की पहली संतान शांता की कहानी रामायण में कम ही उल्लेखित है, जो उनके बलिदान और महत्व को दर्शाती है।
शांता का गोद जाना
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, जो हर कार्य में निपुण और बुद्धिमान थीं। एक बार माता कौशल्या की बहन वर्षिणी और उनके पति रोमपद अयोध्या आए। चूंकि उनकी कोई संतान नहीं थी, वे बहुत दुखी थे। दशरथ और कौशल्या ने अपनी बेटी शांता को उन्हें गोद दे दिया। इसके बाद शांता अंग देश की राजकुमारी बन गईं, जिससे उनके जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ।
ऋषि श्रृंग से विवाह
शांता का विवाह ऋषि श्रृंग से हुआ, जिनका नाम रामायण में विशेष महत्व रखता है। कहा जाता है कि ऋषि श्रृंग ने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ किया, जिसके फलस्वरूप राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। इस तरह शांता अप्रत्यक्ष रूप से अपने भाइयों के जन्म से जुड़ी हैं। हिमाचल के कुल्लू में ऋषि श्रृंग का मंदिर आज भी इस कहानी को जीवंत रखता है, जो भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।
रामायण में कम उल्लेख
रामायण में शांता का जिक्र कम होने से कई लोग उनकी कहानी से अनजान हैं। फिर भी, उनकी गोद जाने की कहानी माता-पिता के त्याग और परिवार के प्रेम को दर्शाती है। कुल्लू के मंदिर में श्रृंग ऋषि के साथ शांता का उल्लेख स्थानीय लोगों के बीच गर्व का विषय है। यह कहानी न केवल रामायण के अनछुए पहलू को उजागर करती है, बल्कि पारिवारिक मूल्यों को भी सामने लाती है।
