National News: हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली रमा एकादशी सबसे पुण्यदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। यह व्रत भक्तों के सभी पापों को नष्ट करके मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। 2025 में यह व्रत अक्टूबर महीने में पड़ने की संभावना है। आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़े विशेष नियम और उपाय।
रमा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को सात्विक जीवन का पालन करना चाहिए। इस दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है। तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन से पूरी तरह दूर रहना आवश्यक है। मसूर की दाल, चने की सब्जी और कोंदे के शाक का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इन चीजों के सेवन से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है।
व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्यंत फलदायी होता है। क्रोध, ईर्ष्या, चुगली और झूठ बोलने जैसे दोषों से बचना चाहिए। मन को पवित्र रखते हुए भगवान विष्णु का स्मरण करें। दूसरे व्यक्ति द्वारा दिया गया अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। व्रत में दिन में केवल एक बार फलाहार या सात्विक भोजन लेने का विधान है।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त रूप से पूजा करनी चाहिए। पूजा में पीले रंग की मिठाई और फल अर्पित करें। तुलसी दल को भोग में शामिल करना अवश्यक माना गया है। माता लक्ष्मी के मंत्रों का जप करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
व्रत का पारण द्वादशी तिथि में शुभ मुहूर्त के अनुसार करना चाहिए। बिना पारण के व्रत अधूरा माना जाता है। पारण के समय दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी का व्रत घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
यह व्रत संतान प्राप्ति और पारिवारिक कलह को दूर करने में सहायक है। कई लोग पूर्ण निर्जला व्रत भी रखते हैं। जो लोग निर्जला व्रत नहीं रख सकते, वे फलाहार कर सकते हैं। व्रत की कथा पढ़ना और सुनना दोनों ही पुण्यदायी माने गए हैं। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है।
रमा एकादशी व्रत को विधि-विधान से करने पर मनुष्य सभी प्रकार के दुखों से मुक्त हो जाता है। यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग है। भगवान विष्णु की कृपा से भक्त के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। इसलिए श्रद्धा भाव से इस पावन व्रत का पालन करना चाहिए। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
