Ayodhya News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में धर्म ध्वजा फहराते हुए एक ऐतिहासिक संकल्प लिया है। उन्होंने देश से अगले 10 वर्षों में गुलामी की मानसिकता को पूरी तरह खत्म करने का आह्वान किया। पीएम मोदी ने कहा कि 1835 में मैकाले ने जिस शिक्षा पद्धति की शुरुआत की थी, उसने भारतीयों को अपनी जड़ों से काट दिया। अब समय आ गया है कि इस पुरानी सोच को जड़ से उखाड़ फेंका जाए। यह बदलाव देश की सांस्कृतिक चेतना को नई ऊर्जा देगा।
मैकाले की शिक्षा पद्धति पर प्रहार
पीएम मोदी ने याद दिलाया कि 190 साल पहले अंग्रेजों ने भारत को कमजोर करने की साजिश रची थी। मैकाले की शिक्षा व्यवस्था ने हमें अपनी संस्कृति से विमुख कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 साल बाद इस व्यवस्था के 200 साल पूरे हो जाएंगे। हमें उससे पहले इस मानसिकता से मुक्ति पानी होगी। राम मंदिर परिसर से दिया गया यह संदेश शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलावों की ओर इशारा करता है।
आत्मविश्वास और लोकतंत्र की जननी
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी मिलने के बाद भी हम हीन भावना से नहीं उबर पाए हैं। हमें अपनी हर चीज में कमी और विदेशी चीजों में अच्छाई नजर आती है। यह गुलामी का ही असर है कि हमारे संविधान को भी विदेशी बताया जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि भारत लोकतंत्र की जननी है। मोदी ने तमिलनाडु के एक हजार साल पुराने शिलालेख का उदाहरण दिया। इसमें उस समय की लोकतांत्रिक व्यवस्था का सुंदर वर्णन मिलता है।
विकसित भारत की ओर कदम
पीएम ने स्पष्ट किया कि राम के अस्तित्व को नकारना भी गुलाम मानसिकता का ही एक रूप था। अगर देश ठान ले तो इस सोच से मुक्ति पाना कठिन नहीं है। यह बदलाव हममें नया आत्मविश्वास और राष्ट्रप्रेम भरेगा। यही ऊर्जा हमें 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद करेगी। सरकार अब इस दिशा में तेजी से काम करने के लिए तैयार है।
