Haryana News: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हरियाणा सरकार ने पैरोल दी है। मंगलवार सुबह 6:30 बजे उन्हें रोहतक की सुनारिया जेल से रिहा किया गया। वह सिरसा डेरे के लिए रवाना हुए। यह उनकी 14वीं पैरोल है। 2020 से अब तक वह 326 दिन जेल से बाहर रह चुके हैं। रक्षाबंधन से पहले मिली इस रिहाई ने फिर से विवाद खड़ा किया है।
अपराध और सजा का इतिहास
गुरमीत राम रहीम को 2017 में सीबीआई कोर्ट ने दो साध्वियों के बलात्कार मामले में 20 साल की सजा सुनाई थी। उन पर 30 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगा। 2002 में एक गुमनाम पत्र से मामला उजागर हुआ। सीबीआई ने छह साल की जांच के बाद 2007 में चार्जशीट दायर की। 2017 में उन्हें दोषी ठहराया गया। इसके अलावा, वह हत्या के एक मामले में भी दोषी हैं।
बार-बार पैरोल पर सवाल
राम रहीम को 2020 से अब तक 14 बार पैरोल या फरलो मिल चुका है। अप्रैल 2025 में उन्हें 21 दिन की फरलो और फरवरी 2025 में 30 दिन की पैरोल दी गई थी। पैरोल की बार-बार मंजूरी पर विपक्ष ने हरियाणा सरकार पर सवाल उठाए हैं। राजनीतिक हलकों में इसे वोट बैंक की रणनीति से जोड़ा जा रहा है।
राजनीतिक प्रभाव और विवाद
राम रहीम का हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में अनुयायियों पर प्रभाव है। उनकी रिहाई, खासकर चुनावों के समय, हमेशा विवादास्पद रही है। विपक्षी दलों ने हरियाणा सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि गंभीर अपराधों में दोषी व्यक्ति को बार-बार पैरोल देना न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाता है। डेरा सच्चा सौदा का बड़ा अनुयायी आधार राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है।
जेल से बाहर समय
राम रहीम ने 2020 से अब तक कुल 326 दिन जेल से बाहर बिताए हैं। उनकी रिहाई अक्सर डेरा सच्चा सौदा के कार्यक्रमों या खास अवसरों से जुड़ी होती है। इस बार रक्षाबंधन से पहले दी गई पैरोल ने फिर से सवाल खड़े किए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि गंभीर अपराधों में सजा काट रहे व्यक्ति को इतनी बार रिहाई क्यों दी जा रही है।
