Himachal News: सूचना का अधिकार अधिनियम के 20 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल ने शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वाले लोग आज भी सुरक्षा के अभाव में खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम को अब तक पूरी तरह लागू नहीं किया गया है।
पाटिल ने दावा किया कि सच उजागर करने वाले लोगों को धमकियों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार भारतीय नागरिकों के सशक्तिकरण का मजबूत औजार है। लेकिन केंद्र सरकार के संशोधनों ने इसकी स्वतंत्रता को कमजोर किया है। कांग्रेस नेत्री ने सरकार से कानून को पूरी तरह लागू करने की मांग की।
व्हिसलब्लोअर सुरक्षा पर सवाल
रजनी पाटिल ने कहा कि देश में भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले लोग असुरक्षित हैं। व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम को लागू नहीं किया गया है। इस कानून का उद्देश्य प्रशासनिक गड़बड़ियों को उजागर करने वालों की रक्षा करना था। सरकार की लापरवाही के कारण यह कानून केवल कागजों तक सीमित रह गया है।
उन्होंने अमेरिका और यूरोपीय देशों का उदाहरण दिया। वहां भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा को अनिवार्य माना गया है। भारत में कानून होने के बावजूद सरकार इसे लागू करने से बच रही है। इससे सच सामने लाने वाले लोग धमकियों और हमलों के प्रति असुरक्षित हैं।
आरटीआई संशोधनों पर आपत्ति
कांग्रेस नेत्री ने 2019 में किए गए संशोधनों पर गंभीर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इन संशोधनों ने सूचना आयोगों की स्वतंत्रता को कमजोर किया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्पष्ट मांग है कि इन संशोधनों को निरस्त किया जाए। सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जानी चाहिए।
पाटिल ने आयुक्तों को निश्चित पांच वर्ष का कार्यकाल देने की मांग की। आयोगों में लंबित रिक्त पदों को पारदर्शी प्रक्रिया से भरा जाना चाहिए। इससे जनता को समय पर न्याय मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों की स्थिति
रजनी पाटिल ने भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के कार्यान्वयन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कानून बनाने मात्र से काम नहीं चलता। उन्हें जमीन पर लागू करना भी जरूरी है। व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम इसका स्पष्ट उदाहरण है। यह कानून सात साल पहले बनाया गया था लेकिन अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई प्रभावित हो रही है। लोग डर के कारण अनियमितताओं को उजागर नहीं कर पा रहे हैं। सरकार को इस दिशा में गंभीरता से काम करना चाहिए। तभी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई सफल हो सकती है।
