Delhi News: भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 की 60वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस दौरान देश की वीरता और सैन्य शक्ति का जिक्र किया। उन्होंने हालिया पहलगाम आतंकी हमले के बाद किए गए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर भी प्रकाश डाला। यह ऑपरेशन भारत की मजबूत जवाबी कार्रवाई क्षमता को दर्शाता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान ने 1965 में घुसपैठ और छापामार हमलों से भारत को डराने की कोशिश की थी। लेकिन हर भारतीय सैनिक देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए दृढ़संकल्पित है। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने दुश्मनों को मजबूत जवाब दिया।
श्री सिंह ने 1965 युद्ध की प्रमुख लड़ाइयों असल उत्तर, फिल्लोरा और चाविंडा का उल्लेख किया। उन्होंने परम वीर चक्र विजेता कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद के साहस को याद किया। हमीद ने अदम्य साहस दिखाते हुए कई दुश्मन टैंकों को नष्ट किया था। उनका बलिदान देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
रक्षा मंत्री ने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व को भी रेखांकित किया। शास्त्री जी ने देश को एकजुट करते हुए “जय जवान जय किसान” का नारा दिया था। उनके दृढ़ नेतृत्व ने सेना और राष्ट्र का मनोबल बढ़ाया था। श्री सिंह ने कहा कि युद्ध केवल मैदान में नहीं लड़े जाते बल्कि पूरे राष्ट्र की सामूहिक इच्छाशक्ति से जीते जाते हैं।
1965 के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की अमेरिकी पैटन टैंकों को धूल चटा दी थी। असल उत्तर की लड़ाई में भारत ने चालाक रणनीति अपनाते हुए दुश्मन टैंकों को कीचड़ भरे खेतों में फंसा दिया। यहाँ 97 पाकिस्तानी टैंक नष्ट या कब्जे में लिए गए थे। इस जीत ने युद्ध का रुख भारत के पक्ष में मोड़ दिया था।
सियालकोट सेक्टर में फिल्लोरा और चाविंडा की लड़ाइयाँ भी ऐतिहासिक रहीं। भारतीय टैंक रेजिमेंट्स ने पाकिस्तान की 6वीं आर्मर्ड डिवीजन को मात दी। लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर तारापोरे को मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। पूना हॉर्स रेजिमेंट ने लगभग 60 दुश्मन टैंकों को नष्ट किया था।
युद्ध का तात्कालिक कारण पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में ऑपरेशन जिब्राल्टर चलाना था। पाकिस्तान ने सोचा कि कश्मीरी लोग उनके साथ जुड़ जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारतीय सेना ने सीमा पार करके पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर में घुसपैठ के लॉन्च पैड्स पर कब्जा कर लिया। हाजी पीर दर्रा भी भारत के कब्जे में आ गया था।
पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू करके चंब पर हमला किया। उनका लक्ष्य अखनूर ब्रिज को पकड़ना था ताकि जम्मू-कश्मीर को भारत से काटा जा सके। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार की और लाहौर और सियालकोट की ओर बढ़ गया। इससे पाकिस्तान को चंब में दबाव कम करना पड़ा।
संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद 22 सितंबर 1965 को युद्धविराम हो गया। जनवरी 1966 में ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों देशों ने युद्ध पूर्व स्थिति में लौटने का फैसला किया। भारत ने 300 वर्ग मील इलाका खोया जबकि पाकिस्तान ने 700 वर्ग मील इलाका गंवाया था।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज की तारीख में विजय भारत की आदत बन गई है। ऑपरेशन सिंदूर इसका ताजा उदाहरण है। भारत सरकार सैनिकों के कल्याण और रक्षा आधुनिकीकरण को प्राथमिकता दे रही है। सेना को बेहतर प्रशिक्षण और उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि उनके पास संसाधनों की कोई कमी न रहे।
इस कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। पश्चिमी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने युद्ध के इतिहास पर अवलोकन प्रस्तुत किया। दिग्गज सैनिकों ने भी अपने अनुभव साझा किए और युद्ध की यादों को ताजा किया।
