शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

राजस्थान यूनिवर्सिटी: पाठ्यक्रम विवाद के बीच ज्योतिबा फुले की वापसी, सावरकर और अहिल्याबाई होलकर भी होंगे शामिल

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Jaipur News: राजस्थान विश्वविद्यालय ने पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम से समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के चैप्टर को हटाने के अपने फैसले को बदल दिया है। विवादों के बीच विश्वविद्यालय ने फुले को पाठ्यक्रम में फिर से शामिल करने का निर्णय लिया है। साथ ही नए पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर और अहिल्याबाई होलकर को भी जोड़ा जाएगा। यह निर्णय पाठ्यक्रम मंडल की बैठक के बाद लिया गया है।

विवाद और बदलाव की पृष्ठभूमि

पाठ्यक्रम से ज्योतिबा फुले को हटाने के फैसले पर व्यापक विवाद खड़ा हो गया था। कांग्रेस और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इसकी कड़ी आलोचना की थी। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे शिक्षा के साथ खिलवाड़ बताया था। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस अपनी विचारधारा थोपना चाहते हैं। इसके बाद विश्वविद्यालय को अपना फैसला बदलना पड़ा।

नए पाठ्यक्रम की संरचना

नए पाठ्यक्रम में बीए प्रथम और द्वितीय वर्ष के राजनीति विज्ञान विषय में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। ज्योतिबा फुले के साथ-साथ विनायक दामोदर सावरकर और अहिल्याबाई होलकर को शामिल किया जाएगा। एम एन राय के पाठ्यक्रम को हटाकर इन्हें जोड़ा गया है। यह बदलाव सत्र 2025-26 से लागू होगा।

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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह शिक्षा के माध्यम से अपनी विचारधारा थोपना चाहती है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का देश और समाज के लिए काम करने वाले महापुरुषों से कोई लेना-देना नहीं है। सावरकर के शामिल किए जाने पर भी विवाद होने की संभावना है।

छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया

विश्वविद्यालय के छात्रों और शोधार्थियों ने फुले को हटाने के फैसले का विरोध किया था। उन्होंने कुलपति को ज्ञापन देकर फुले को पाठ्यक्रम में वापस लाने की मांग की थी। छात्रों का मानना था कि फुले के विचार और योगदान को हटाना शिक्षा के क्षेत्र में गलत कदम है।

स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम पर सफाई

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्कूली पाठ्यक्रम से मानगढ़ धाम और कालीबाई को हटाने के मामले में सफाई दी है। उन्होंने कहा कि इन्हें हटाया नहीं गया बल्कि नई शिक्षा नीति के तहत दूसरी जगह समायोजित किया गया है। मंत्री ने दावा किया कि ये अभी भी पाठ्यक्रम में शामिल हैं।

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ऐतिहासिक और शैक्षणिक महत्व

ज्योतिबा फुले 19वीं सदी के महान समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उन्होंने सत्यशोधक समाज की स्थापना कर जातिवाद और सामाजिक असमानता के खिलाफ संघर्ष किया। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने फुले को अपना गुरु माना था। उनके योगदान को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करना महत्वपूर्ण माना जाता है।

भविष्य की संभावनाएं

विश्वविद्यालय के नए पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों से शैक्षणिक और राजनीतिक हल्कों में चर्चा जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में बदलाव सावधानीपूर्वक और व्यापक विचार-विमर्श के बाद किए जाने चाहिए। इससे छात्रों को विविध विचारों और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के बारे में संतुलित ज्ञान मिल सकेगा।

यह मामला शिक्षा और राजनीति के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करता है। साथ ही यह दिखाता है कि शैक्षणिक संस्थानों में पाठ्यक्रम निर्धारण कितना संवेदनशील विषय है। भविष्य में इस तरह के निर्णयों में पारदर्शिता और व्यापक सहमति की आवश्यकता होगी।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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