Bhilwara News: राजस्थान के भीलवाड़ा में एक मुस्लिम युवक ने अपनी हिंदू मां का अंतिम संस्कार किया। सत्तर वर्षीय शांति देवी के निधन पर बयालीस वर्षीय असगर अली ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। यह दृश्य देखकर लोग भावुक हो गए।
असगर अली ने हिंदू रीति-रिवाजों का पूरी तरह से पालन किया। वह शांति देवी की अस्थियां त्रिवेणी संगम पर विसर्जित करेंगे। लोग इस अनोखे रिश्ते की तारीफ कर रहे हैं। सभी कह रहे हैं कि ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है।
तीस साल का साथ
असगर अली और शांति देवी के परिवार तीस साल से एक दूसरे को जानते थे। दोनों परिवार मेलों में छोटी-मोटी दुकान लगाया करते थे। उनके बीच कभी धर्म का बंधन नहीं रहा।
साल 2010 में शांति देवी अपने बेटे के साथ असगर के मोहल्ले में आकर रहने लगीं। दोनों परिवार एक ही मकान में अलग-अलग मंजिलों पर रहते थे। उनके रिश्ते में कभी दूरी नहीं आई।
मुसीबत में साथ
साल 2017 में असगर के पिता का निधन हो गया। इस दुख में शांति देवी ने असगर की मां का साथ दिया। वह उनके साथ बहन की तरह खड़ी रहीं। इससे दोनों परिवारों का रिश्ता और मजबूत हो गया।
साल 2018 में शांति देवी के बेटे की एक दुर्घटना में मौत हो गई। इसके बाद शांति देवी ने असगर के परिवार के साथ ही वक्त बिताना शुरू किया। असगर ने उन्हें मां का दर्जा दे दिया।
मां का प्यार
असगर बताते हैं कि शांति मां ने उन्हें बेटे जैसा प्यार दिया। सर्दियों में वह उनके नहाने का पानी गर्म करती थीं। उनके कपड़े धोती थीं और खाने का पूरा ख्याल रखती थीं।
असगर की अपनी मां के निधन के बाद शांति देवी ने उन्हें संभाला। उन्होंने कभी असगर को अकेला महसूस नहीं होने दिया। असगर ने उनके सम्मान में अपने घर में मांसाहारी भोजन बनाना बंद कर दिया।
साथ में मनाते थे त्योहार
दोनों परिवार ईद और दीवाली साथ-साथ मनाते थे। उनके बीच कभी कोई भेदभाव नहीं था। शांति देवी की बीमारी के दौरान असगर ने उनकी पूरी देखभाल की।
असगर कहते हैं कि शांति मां के बिना अब वह खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि हर जन्म में उन्हें ऐसी ही मां मिले। उनकी दुआ है कि सभी के जीवन में इंसानियत का ऐसा ही रंग हो।
