शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

राहुल गांधी: देश की सेना और संस्थानों पर सिर्फ 10% लोगों का कंट्रोल, 90% दलित और पिछड़ों का नहीं है प्रतिनिधित्व

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India News: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार के औरंगाबाद में एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देश की सेना और बड़े संस्थान केवल दस प्रतिशत आबादी के नियंत्रण में हैं। नब्बे प्रतिशत लोगों का इन संस्थानों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया है।

राहुल गांधी का दावा

राहुल गांधी ने कहा कि देश की नब्बे प्रतिशत आबादी दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों से आती है। उन्होंने दावा किया कि शीर्ष पांच सौ कंपनियों में इन समुदायों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। सभी नौकरियां और संसाधन शीर्ष दस प्रतिशत लोगों के पास जाते हैं। सेना का नियंत्रण भी उन्हीं के हाथ में है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि वे एक ऐसा भारत चाहते हैं जहां नब्बे प्रतिशत आबादी के लिए जगह हो। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ती रही है। यह बयान चुनावी रैली में दिया गया। इसने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी।

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बीजेपी की प्रतिक्रिया

बीजेपी ने राहुल गांधी के बयान की कड़ी आलोचना की। बीजेपी प्रवक्ता सुरेश नखुआ ने कहा कि राहुल गांधी सेना में जाति ढूंढ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल की नफरत अब देश के प्रति हो गई है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह बयान सेना का अपमान है।

उन्होंने कहा कि यह बयान देश की एकता के खिलाफ है। बीजेपी ने राहुल गांधी के पिछले विवादित बयानों का जिक्र किया। पार्टी नेताों ने इस बयान को राष्ट्रविरोधी बताया। उन्होंने कांग्रेस पर जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया।

पिछले विवाद

राहुल गांधी पहले भी सेना संबंधी बयानों को लेकर विवादों में रहे हैं। अगस्त में उन्होंने चीनी सैनिकों के बारे में एक बयान दिया था। उन्होंने दावा किया था कि चीनी सैनिक भारतीय जवानों को पीट रहे हैं। इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी।

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एक रिटायर्ड डिफेंस अफसर ने इस बयान पर मानहानि की शिकायत दर्ज की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिकायत को रद्द करने से इनकार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से बयान का आधार पूछा था। अदालत ने कहा था कि सच्चे भारतीय ऐसा नहीं कहते।

बिहार चुनाव पर प्रभाव

राहुल गांधी का यह बयान चुनावी समय में आया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे जातीय राजनीति को बल मिल सकता है। यह बयान पिछड़े वर्गों के बीच सहानुभूति पैदा कर सकता है। हालांकि बीजेपी इसे राष्ट्रवाद बनाम जातिवाद की बहस में बदल सकती है।

चुनावी रणनीतिकार इस बयान के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं। बिहार में जातीय समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। यह बयान चुनाव प्रचार में नया मोड़ ला सकता है। दोनों पक्ष इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेंगे।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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