Varanasi News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने वाराणसी की एक विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ एक निगरानी याचिका को स्वीकार किया था। यह मामला सितंबर 2024 में अमेरिका में दिए गए उनके एक बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने भारत में सिख समुदाय की स्थिति पर सवाल उठाए थे। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब वाराणसी की अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मामले की सुनवाई होगी।
जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने तीन सितंबर को सभी पक्षों की लंबी बहस सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था और आज इसे सुना दिया। इस फैसले के साथ ही, वाराणसी की विशेष अदालत के 21 जुलाई 2025 के उस आदेश को बरकरार रखा गया है, जिसमें शिकायतकर्ता की याचिका को स्वीकार किया गया था। राहुल गांधी ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि विशेष अदालत का आदेश गलत और अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
मामले की शुरुआत तब हुई जब वाराणसी के सारनाथ निवासी नागेश्वर मिश्रा ने राहुल गांधी के अमेरिकी भाषण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। नागेश्वर मिश्रा ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी का बयान भड़काऊ है और समाज में तनाव पैदा करने वाला है। उन्होंने पहले पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन एफआईआर नहीं होने पर उन्होंने अदालत का रुख किया।
प्रारंभ में, न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 28 नवंबर 2024 को इस मामले को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि चूंकि भाषण अमेरिका में दिया गया था, इसलिए उसका क्षेत्राधिकार इस मामले पर लागू नहीं होता है। इसके बाद शिकायतकर्ता ने सत्र न्यायालय में निगरानी याचिका दायर की, जिसे विशेष जज एमपी/एमएलए कोर्ट ने 21 जुलाई 2025 को स्वीकार कर लिया। इसी आदेश के खिलाफ राहुल गांधी हाईकोर्ट पहुंचे थे।
राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी और आलोक रंजन मिश्रा ने हाईकोर्ट में दलीलें पेश की थीं। उनका तर्क था कि विशेष अदालत का आदेश कानूनी तौर पर दोषपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और समाज में उनका सम्मान है, इसलिए अदालत को आदेश को रद्द करना चाहिए। दूसरी ओर, शिकायतकर्ता और राज्य सरकार ने इस आदेश का बचाव किया।
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और एजीए रुपक चौबे ने अपनी दलीलें रखीं। शिकायतकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार त्रिपाठी और अमन सिंह विषेन ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान मामले से जुड़े कानूनी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई। अंततः हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका को खारिज करने का निर्णय सुनाया।
इस फैसले का सीधा असर यह हुआ है कि अब वाराणसी की विशेष अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ दायर इस मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी। अदालत अब एफआईआर दर्ज करने के लिए दायर उस आवेदन पर विचार करेगी, जिसे शिकायतकर्ता ने दायर किया था। मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148 और 152 के तहत कार्रवाई की मांग की गई है।
राहुल गांधी ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट से वाराणसी अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर रोक नहीं लगाई गई तो उन्हें अपूरणीय क्षति होगी। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी इस मांग को स्वीकार नहीं किया। अदालत ने विशेष अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए मामले को वाराणसी कोर्ट में ही सुनवाई के लिए वापस भेज दिया है।
यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों ही दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राहुल गांधी पर लगाए गए आरोपों की प्रकृति गंभीर है और इसमें सामुदायिक सद्भाव को प्रभावित करने का आरोप शामिल है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब निचली अदालत में कानूनी लड़ाई और तेज होने की उम्मीद है। दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्कों को मजबूती से रखा था।
