Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में बॉलीवुड अभिनेता राहुल बोस के खिलाफ एक गंभीर मामला सामने आया है। जुब्बल शाही परिवार की सदस्य दिव्या कुमारी ने राहुल बोस पर फर्जी डोमिसाइल (रिहायशी) प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता का दावा है कि अभिनेता ने हिमाचल प्रदेश रग्बी फुटबॉल यूनियन के चुनावों में फायदा उठाने के लिए यह कदम उठाया है। दिव्या कुमारी ने इस मामले में न्याय की मांग करते हुए कोर्ट में सबूत पेश किए हैं।
24 सितंबर 2025 के डोमिसाइल पर सवाल
दिव्या कुमारी के अनुसार, राहुल बोस ने 24 सितंबर 2025 को हिमाचल का डोमिसाइल हासिल किया। इस सर्टिफिकेट में दावा किया गया है कि वे पिछले 16 वर्षों से कसौली में रह रहे हैं। दिव्या ने इस दावे पर तीखे सवाल उठाए हैं।
- राहुल बोस मूल रूप से मुंबई के रहने वाले हैं।
- उन्होंने मुंबई से ही चुनाव भी लड़ा है।
- उनका आधार कार्ड और पासपोर्ट भी मुंबई के पते पर है।
दिव्या का कहना है कि एक बाहरी व्यक्ति अचानक हिमाचली कैसे बन गया? उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र से नामांकन न मिलने के डर से उन्होंने हिमाचल का रास्ता चुना।
रग्बी संघ की मान्यता और विवाद
दिव्या कुमारी ने एएनआई को बताया कि उन्होंने पिछले दो सालों से हिमाचल में रग्बी के विकास के लिए मेहनत की है। राहुल बोस ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि राज्य संघ की मान्यता मिलने पर नेतृत्व उन्हें ही मिलेगा।
दिव्या ने बताया कि उन्होंने अपने खर्च पर ये काम किए:
- शिमला, कुल्लू, सिरमौर और सोलन में यूनिट बनाई।
- खिलाड़ियों की टीमें तैयार कीं।
- खिलाड़ियों को राष्ट्रीय आयोजनों में भेजा।
नई संस्था और चुनाव की जल्दबाजी
याचिका में आरोप लगाया गया है कि नियमों को ताक पर रखकर नई रग्बी संस्था बनाई गई। दिव्या के अनुसार, 18 अक्टूबर 2025 को बिना किसी चुनाव और ऑडिट के नई हिमाचल रग्बी एसोसिएशन का गठन हुआ। हैरानी की बात यह है कि 26 अक्टूबर को इसे स्थायी मान्यता भी दे दी गई। यह सब सिर्फ इसलिए किया गया ताकि राहुल बोस अपना नामांकन दाखिल कर सकें।
सेलेब्रिटी कानून से ऊपर नहीं
दिव्या कुमारी ने स्पष्ट कहा है कि कोई भी सेलेब्रिटी कानून से ऊपर नहीं हो सकता। उन्होंने हाई कोर्ट से डोमिसाइल जारी करने की प्रक्रिया की जांच करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह खेल का विकास नहीं, बल्कि एक चुनावी योजना थी। इससे हिमाचल के रग्बी समुदाय और खिलाड़ियों का भरोसा टूटा है। अब सभी की निगाहें हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।
