Delhi News: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा पर वैश्विक नजरें टिकी हैं। विशेष रूप से चीन का मीडिया इस दौरे को लेकर सक्रिय है। चीनी मीडिया ने इस दौरे को भारत-रूस दोस्ती का सकारात्मक संकेत बताया है। उनका मानना है कि यह पश्चिमी देशों के दबाव का मजबूती से जवाब है।
चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस दौरे की प्रशंसा की है। अखबार ने एक प्रोफेसर के हवाले से लिखा कि भारत और रूस ने साफ संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम चाहे कितना भी दबाव डाले, दोनों देश अलग-थलग नहीं होंगे। यह एशिया पर दबाव की राजनीति को कमजोर करता है।
तेल व्यापार और अमेरिकी टैरिफ पर चीनी विश्लेषण
चीनीसरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने भी इस दौरे पर विस्तार से लिखा। उन्होंने कहा कि पुतिन का दौरा एक महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है। अमेरिका रूस से तेल खरीदने पर भारत पर टैरिफ लगा रहा है। शिन्हुआ का मानना है कि तेल व्यापार इस बैठक का अहम मुद्दा रहा।
शिन्हुआ ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा कि इस मुद्दे से भारत और अमेरिका के बीच तनाव पैदा हो सकता है। चीनी न्यूज वेबसाइट ‘द पेपर’ ने अमेरिकी टैरिफ का जिक्र किया। उन्होंने लिखा कि अमेरिका ने भारत पर पचास प्रतिशत टैरिफ लगाया है।
चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका चाहे कितने भी टैरिफ लगा ले। भारत के आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करना जरूरी है। इसलिए रूस का सहयोग भारत के लिए आवश्यक बना हुआ है। यह विश्लेषण चीनी मीडिया में व्यापक रूप से प्रकाशित हुआ।
रक्षा सौदों पर चीनी मीडिया की प्रतिक्रिया
सुखोई-57 फाइटर जेट और एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम केसौदे पर चीनी मीडिया की प्रतिक्रिया दिलचस्प रही। चीनी सरकार समर्थित गुआनचा वेबसाइट ने लिखा कि रक्षा सौदा निस्संदेह मुख्य मुद्दा है। लेकिन भारत की तरफ से इस पर उत्साह नहीं दिखाया गया है।
ग्लोबल टाइम्स ने भी इसी तरह की बात लिखी। अखबार ने क्रेमलिन प्रवक्ता के बयान का हवाला दिया। प्रवक्ता ने कहा था कि पुतिन की यात्रा के दौरान अत्याधुनिक हथियारों की पेशकश की जाएगी। लेकिन भारत की तरफ से इस पर अजीब प्रतिक्रिया देखने को मिली।
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार भारत ने इस डील पर हिचकिचाहट दिखाई है। उन्होंने लिखा कि भारत ने ऑर्डर देने से इनकार कर दिया है। साथ ही भारतीय मीडिया ने भी बताया था कि सुखोई-57 पर समझौते की संभावना कम है। यह रिपोर्ट चीनी मीडिया में काफी प्रचारित हुई।
चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से सुरक्षा चुनौतियां भारत के सामने हैं। इसलिए भारत को अपनी सैन्य क्षमता लगातार बढ़ानी पड़ती है। स्वदेशी रक्षा प्रणाली 2030 में आने की उम्मीद है। इस बीच एस-500 जैसे सिस्टम की चर्चा स्वाभाविक है।
चीनी मीडिया द्वारा रक्षा सौदों पर सवाल उठाना एक रुचिकर बिंदु है। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि यह चीन सरकार को खुश करने का प्रयास हो सकता है। चीनी मीडिया का समग्र टोन इस दौरे को पश्चिम विरोधी गठबंधन के रूप में पेश करने का रहा। उन्होंने इसे अमेरिकी प्रभाव के खिलाफ एक मजबूत कदम बताया।
