Punjab News: पंजाब में जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनावों के नतीजे आ गए हैं। आम आदमी पार्टी एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इन नतीजों को 2027 के विधानसभा चुनाव का अग्रिम संकेत माना जा रहा है। अन्य दलों के लिए यह चुनाव चुनौती और चेतावनी दोनों लेकर आया है।
आम आदमी पार्टी ने जिला परिषद की 346 सीटों में से 218 पर जीत दर्ज की। ब्लॉक समिति चुनावों में भी उसने 1494 सीटें जीतीं। यह जीत पार्टी के जमीनी समर्थन को दिखाती है। पर कुछ बड़े नेताओं के अपने इलाकों में पार्टी की हार ने चिंता के संकेत दिए हैं।
बड़े नेताओं के इलाकों में हार
विधानसभाअध्यक्ष कुलतार सिंह संधवा के गांव संधवां में पार्टी हार गई। इसी तरह सांसद गुरमीत सिंह मीत हेर के गांव कुरड़ से भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हार आंतरिक समन्वय की कमी को दर्शाती है।
विधायक नरिंदर भराज के गांव भराज से भी पार्टी का उम्मीदवार नहीं जीत पाया। पूर्व मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के जद्दी गांव जगदेव कलां में भी पार्टी को हार मिली। ये नतीजे पार्टी के लिए आत्मनिरीक्षण का विषय हैं।
कांग्रेस के लिए चेतावनी
कांग्रेस कोइन चुनावों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। पार्टी जिला परिषद चुनाव में सिर्फ 62 सीटें ही जीत पाई। ब्लॉक समिति चुनावों में उसे 567 सीटों पर सफलता मिली। 2022 के बाद के उपचुनावों में भी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है।
पार्टी की आंतरिक कलह का सीधा असर इन नतीजों में देखा गया। पार्टी अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग अपने गृह जिले से पार्टी को मजबूत नहीं कर पाए। दिल्ली नेतृत्व को पंजाब में एकता बनाने की चुनौती है।
अकाली दल में दिखी रिकवरी
शिरोमणिअकाली दल (बादल) के लिए ये नतीजे राहत भरे हैं। पार्टी ने जिला परिषद की 46 और ब्लॉक समिति की 390 सीटें जीतीं। मात्र तीन विधायकों वाली पार्टी के लिए यह प्रदर्शन उम्मीद जगाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पार्टी 2027 में मजबूत विपक्ष बन सकती है।
अन्य अकाली दल संगठन चुनावी मैदान में नहीं दिखे। सिमरनजीत सिंह मान की पार्टी और अन्य गुटों का प्रभाव सीमित रहा। इससे साबित हुआ कि मुख्य अकाली दल के पास अभी भी जमीनी समर्थन है।
भाजपा के सामने गठजोड़ का सवाल
भारतीय जनतापार्टी का प्रदर्शन इन चुनावों में बहुत कमजोर रहा। पार्टी जिला परिषद की सिर्फ 7 सीटें ही जीत पाई। ब्लॉक समिति चुनाव में भी उसे मात्र 75 सीटों पर सफलता मिली। ग्रामीण स्तर पर पार्टी की पकड़ अभी कमजोर दिख रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा को पंजाब में सफलता के लिए गठजोड़ की जरूरत है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ पहले ही गठजोड़ की वकालत कर चुके हैं। पार्टी के लिए यह एक बड़ा रणनीतिक निर्णय होगा।
2027 के लिए राजनीतिक समीकरण
येचुनाव परिणाम 2027 के लिए कई संकेत देते हैं। आम आदमी पार्टी ने अपनी मजबूती बरकरार रखी है। पर पार्टी को अपने बड़े नेताओं की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार करना होगा। कांग्रेस को आंतरिक मतभेद दूर करने होंगे।
अकाली दल एक बार फिर से उभरता हुआ दल दिख रहा है। भाजपा को अपनी रणनीति में बदलाव की जरूरत है। इन स्थानीय निकाय चुनावों ने पंजाब की राजनीति के भविष्य का रोडमैप पेश कर दिया है।
