Maharashtra News: पुणे के मॉडर्न कॉलेज ने एक दलित छात्र के जाति प्रमाणपत्र को वेरिफाई करने से इनकार कर दिया है। इससे छात्र को यूनाइटेड किंगडम में नौकरी मिलने में बाधा आई है। प्रेम बिरहाड़े नामक यह छात्र ससेक्स यूनिवर्सिटी से स्नातक कर चुका है। उसे लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर नौकरी के लिए दस्तावेज जमा करने थे।
कॉलेज ने जाति प्रमाणपत्र को सत्यापित करने से मना कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि इसी कॉलेज ने पहले प्रेम के विदेश में पढ़ाई के लिए इसी दस्तावेज को मान्यता दी थी। अब नौकरी के लिए उसी दस्तावेज के सत्यापन में समस्या आ रही है।
छात्र ने लगाए गंभीर आरोप
प्रेम बिरहाड़े ने कॉलेज प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वह सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह संघर्ष सिर्फ उनका नहीं है। कॉलेज प्रबंधन ने पहले भी उनके खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की थीं।
प्रेम ने पुणे के मॉडर्न कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स से 2020 से 2024 तक पढ़ाई की थी। उन्होंने ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री हासिल की है। अब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नौकरी पाने के लिए प्रयासरत हैं।
कॉलेज ने दी अपनी सफाई
मॉडर्न कॉलेज ने इस मामले में अपनी सफाई दी है। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि उन्होंने नियमों के अनुसार ही कदम उठाया है। प्रेम के आरोपों से छात्रों में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।
कॉलेज ने किसी भी तरह के भेदभाव से इनकार किया है। उनका दावा है कि सभी प्रक्रियाएं नियमानुसार पूरी की गई हैं। कॉलेज की छवि को नुकसान पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
नेताओं ने उठाए सवाल
वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है। उन्होंने कॉलेज प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कॉलेज की प्रिंसिपल के राजनीतिक संबंध भाजपा से हैं।
आंबेडकर ने कहा कि इस तरह की मानसिकता ने दलित छात्रों के खिलाफ पूर्वाग्रह पैदा किया होगा। उन्होंने जातिगत भेदभाव को युवाओं की प्रगति में बाधा बताया। इस मामले ने शिक्षा क्षेत्र में समानता के सवाल खड़े कर दिए हैं।
छात्र का संघर्ष जारी
प्रेम बिरहाड़े ने हर सामाजिक और आर्थिक बाधा पार कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता हासिल की थी। अब जाति प्रमाणपत्र के मामले में उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। यह मामला उन लाखों छात्रों की कहानी बन गया है जिनकी महत्वाकांक्षाएं व्यवस्था में दब जाती हैं।
प्रेम सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं। वह इस मुद्दे को व्यापक स्तर पर उठा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर की मांग तेज हो रही है। इस मामले ने दलित छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों को फिर से उजागर कर दिया है।
