Health News: अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के इलाज में बड़ी सफलता प्राप्त की है। एक नई क्लिनिकल स्टडी में शामिल सभी नौ मरीज पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। यह शोध टेक्सास यूनिवर्सिटी और बायलर यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से किया है।
इस नए इलाज में पारंपरिक थेरेपी के साथ वेगस नर्व स्टिमुलेशन तकनीक का उपयोग किया गया। छह महीने की निगरानी के बाद भी किसी भी मरीज में लक्षण वापस नहीं आए। इससे पीटीएसडी के इलाज में नई उम्मीद जगी है।
क्या है वीएनएस तकनीक
वेगस नर्व स्टिमुलेशन तकनीक में गर्दन की नस को हल्के विद्युत संकेत भेजे जाते हैं। यह नस मस्तिष्क के कई कार्यों को नियंत्रित करती है। इनमें मूड, तनाव और भावनाएं शामिल हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक थेरेपी के प्रभाव को बढ़ा देती है।
इलाज प्रक्रिया में मरीजों को प्रोलॉन्ग्ड एक्सपोजर थेरेपी दी गई। इस दौरान गर्दन में लगे छोटे डिवाइस से विद्युत संकेत भेजे गए। कुल बारह सत्रों के बाद सभी मरीजों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। यह डिवाइस सिक्के के आकार का है और एमआरआई में बाधा नहीं डालता।
तेरह साल का शोध
वैज्ञानिक इस तकनीक पर पिछले तेरह सालों से शोध कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने स्ट्रोक के मरीजों के इलाज में सफलता प्राप्त की थी। वीएनएस तकनीक मस्तिष्क की न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देती है। इससे मस्तिष्क तेजी से नई बातें सीख पाता है।
पीटीएसडी एक गंभीर मानसिक समस्या है जो जीवन-धमकी वाले हादसों के बाद होती है। इसके मरीज बार-बार बुरे सपने देखते हैं और घबराहट महसूस करते हैं। अमेरिका में हर साल पांच प्रतिशत वयस्क इससे प्रभावित होते हैं। महिलाओं में इसकी दर पुरुषों से दोगुनी है।
अगले चरण का ट्रायल
अब इस तकनीक का दूसरा चरण का ट्रायल चल रहा है। इसमें अधिक मरीज शामिल किए जाएंगे और प्लेसिबो समूह भी होगा। इससे तकनीक की प्रभावशीलता की पुष्टि हो सकेगी। डलास में पचास लोगों पर इसका सुरक्षित उपयोग किया जा चुका है।
यह शोध मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि बड़े ट्रायल्स में भी ऐसे ही नतीजे मिलते हैं तो यह तकनीक जीवन बदलने वाली साबित हो सकती है। पीटीएसडी के मरीजों के लिए यह नई आशा की किरण है।
