India News: भारतीय सड़कों के लिए 25 वर्षों से संघर्षरत प्रोफेसर पृथ्वी सिंह कांधल को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भुवनेश्वर में आयोजित इंडियन रोड्स कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया। आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर वीराराघवन ने प्रोफेसर कांधल की ओर से यह पुरस्कार ग्रहण किया।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ
प्रोफेसर कांधल कोविश्व के शीर्ष डामर सड़क विशेषज्ञों में गिना जाता है। तीन दशक पहले अमेरिकन रोड कांग्रेस ने भी उन्हें इसी प्रकार के सम्मान से नवाजा था। वह अमेरिका की ऑबर्न यूनिवर्सिटी स्थित नेशनल सेंटर फॉर डामर टेक्नोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर एमेरिटस रहे हैं। सत्रह वर्षों तक उन्होंने पेंसिल्वेनिया ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में मुख्य डामर इंजीनियर के रूप में कार्य किया।
सड़कों के डॉक्टर के रूप में पहचान
प्रोफेसर कांधल कोअंतरराष्ट्रीय स्तर पर सड़कों का डॉक्टर कहा जाता है। उनके पास डामर मिश्रण और हॉट मिक्स एस्फाल्ट तकनीक पर 120 से अधिक शोधपत्र हैं। वह अमेरिकी ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च बोर्ड और एएसटीएम डी04 समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। यह समिति सड़क निर्माण के वैश्विक मानक तय करती है।
भारत में तकनीक के सीमित उपयोग
भारत लौटनेके बाद प्रोफेसर कांधल ने सड़कों की गुणवत्ता सुधारने के लिए लगातार सुझाव दिए। उनका मानना है कि यदि सरकारें उनकी तकनीक अपनातीं तो देश को बीस लाख करोड़ रुपये तक की बचत होती। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 2021 में कुछ राज्यों में उनकी तकनीक से सड़कें बनानी शुरू कीं। राष्ट्रीय और राज्यीय परियोजनाओं में अभी तक इनका व्यापक उपयोग नहीं हुआ है।
90 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय
प्रोफेसर कांधल अब 90 वर्ष केहो चुके हैं लेकिन अभी भी सक्रिय हैं। वह हर दिन प्रधानमंत्री और नीति-निर्माताओं को ईमेल भेजकर सड़कों की गुणवत्ता सुधारने की अपील करते हैं। उन्होंने बीकानेर में बालू रेत से बनी दो किलोमीटर लंबी सड़क बनाकर अपनी तकनीक की क्षमता प्रदर्शित की थी। जयपुर में रामबाग सर्किल से टोंक पुलिया तक बनी सड़क उनकी सोच का जीवंत उदाहरण है।
युद्धकाल में हवाई पट्टी निर्माण
भारत-पाकिस्तान युद्ध केदौरान प्रोफेसर कांधल ने रातों-रात हवाई पट्टी तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके सुझाव के बाद तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर सन 2021 से ग्रामीण सड़कों के निर्माण में उनकी तकनीक का उपयोग शुरू हुआ। नेशनल हाईवे, एक्सप्रेस हाइवे और भारत माला प्रोजेक्ट जैसी बड़ी परियोजनाओं में अभी तक उनके सुझावों को व्यापक रूप से लागू नहीं किया गया है।
मूल रूप से राजस्थान के निवासी
प्रोफेसर कांधल मूल रूप सेराजस्थान के चुरु जिले के रहने वाले हैं। वर्तमान में वह जयपुर में निवास करते हैं। उनके शोधों ने विश्वभर की सड़क निर्माण तकनीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी तकनीकों के उपयोग से भारत को हर साल 80,000 करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। यह बचत देश को कर्जमुक्ति की दिशा में भी मदद कर सकती है।
