Varanasi News: आध्यात्मिक जगत में चर्चित संत प्रेमानंद महाराज के बारे में एक बुजुर्ग महिला ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। शीला नाम की इस 90 वर्षीय महिला ने महाराज के बचपन और युवावस्था के कुछ अनसुने किस्से साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि वृंदावन के प्रसिद्ध संत बनने से पहले प्रेमानंद महाराज का स्वरूप काफी डरावना हुआ करता था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
शीला महाराज के बनारस में रहने के दिनों को याद करती हैं। वह बताती हैं कि प्रेमानंद महाराज उस दौरान उनके पति श्री राम शर्मा से मिलने आया करते थे। श्री राम शर्मा रास लीला की प्रस्तुति दिया करते थे और महाराज उन्हें देखने के लिए आते थे। इसी दौरान प्रेमानंद महाराज ने वृंदावन जाने की इच्छा जताई थी। यह खुलासा महाराज के आध्यात्मिक सफर के शुरुआती पड़ाव पर रोशनी डालता है।
महिला के मुताबिक, उस समय प्रेमानंद महाराज का रूप-रंग बिल्कुल अलग था। वह बड़ी-बड़ी जटाएं रखते थे और ज्यादातर समय खाट पर ही बैठे रहते थे। उनका स्वभाव और दिखावट कुछ ऐसी थी जिसे देखकर लोग डर सकते थे। वृंदावन आने के बाद ही उनमें बदलाव आना शुरू हुआ और वह राधा नाम का जप करने लगे। यह परिवर्तन उनके आंतरिक आध्यात्मिक विकास को दर्शाता है।
शीला ने यह भी बताया कि प्रेमानंद महाराज लंबे समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी दोनों किडनियां काम करना बंद कर चुकी हैं। इसके बावजूद वह अपनी भक्ति और आध्यात्मिक साधना में लगे हुए हैं। यह जानकारी उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास को उजागर करती है। उनकी इस स्थिति ने भक्तों के मन में उनके प्रति और भी अधिक श्रद्धा पैदा की है।
किडनी दान को ठुकराने की कहानी
बुजुर्ग महिला के अनुसार, किडनी खराब होने के बाद कई भक्तों ने महाराज को अपनी किडनी दान करने की पेशकश की। लेकिन प्रेमानंद महाराज ने किसी की भी किडनी लेने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि वह किसी और को इसका कष्ट क्यों देंगे। भगवान ने जो दिया है, उसे वह भोगेंगे। यह फैसला उनकी निस्वार्थ भावना और जीवन के प्रति उनके दार्शनिक नजरिए को दिखाता है।
प्रेमानंद महाराज का यह रवैया आज के समय में बहुत दुर्लभ है। जहां लोग छोटी-छोटी समस्याओं के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं, वहीं महाराज ने गंभीर बीमारी में भी स्वावलंबन बनाए रखा। उनकी इस सोच ने उनके अनुयायियों के मन में उनके प्रति सम्मान को और गहरा कर दिया है। यह घटना उनके चरित्र की दृढ़ता को रेखांकित करती है।
वृंदावन आने के बाद आया बदलाव
शीला के अनुसार, बनारस से वृंदावन आना प्रेमानंद महाराज के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। यहां आकर उन्होंने राधा नाम का जप शुरू किया। इस आध्यात्मिक साधना ने धीरे-धीरे उनके व्यक्तित्व और स्वरूप में परिवर्तन ला दिया। उनका डरावना रूप कोमल भक्ति में बदल गया। यह परिवर्तन उनकी आंतरिक चेतना के उत्थान का प्रतीक है।
वृंदावन की पवित्र भूमि ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। यहां की आध्यात्मिक वातावरण ने उनके भीतर के संत को जगाया। आज वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं। उनके इस सफर ने यह साबित किया कि सच्ची लगन और भक्ति से इंसान किसी भी परिवर्तन को प्राप्त कर सकता है।
हालांकि यह वीडियो पुराना है, लेकिन सोशल मीडिया पर इसकी लोकप्रियता बनी हुई है। लोग प्रेमानंद महाराज के जीवन के इन अनजाने पहलुओं के बारे में जानकर हैरान हैं। यह खुलासा एक संत के सामान्य मानवीय संघर्षों और उन पर विजय पाने की कहानी बयां करता है। यह कहानी भक्ति और दृढ़ संकल्प की शक्ति को रेखांकित करती है।
